लाइफ में है ढेर सारी टेंशन, तुरंत चैक करें मंदिर का वास्तु

Gaurav Sharma
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जीवनशैली, डेस्क रिपोर्ट। आप लाइफ में बेवजह के टेंशन के शिकार हैं और ये नहीं समझ पा रहे कि लगातार टेंशन बना क्यों हुआ है. अगर ऐसे हालात हैं तो आपको अपने घर में रखे मंदिर के वास्तु को चैक करने की जरूरत है. घर में रखा मंदिर पूरे परिवार की आस्था का केंद्र होता है. घर में रखा मंदिर काफी हद तक घर की ऊर्जा को भी प्रभावित करता है. अगर मंदिर का वास्तु बहुत ज्यादा गलत होगा तो आपके कई काम बिगाड़ सकता है. क्योंकि मंदिर इसलिए रखा जाता है जो घर की निगेटिव एनर्जी को दूर करे और सकारात्मक एनर्जी से घर को भर दे. लेकिन वास्तु की गड़बड़ी इस प्रक्रिया को बिगाड़ सकती है. इसलिए ये जान लेना जरूरी है कि घर के मंदिर का वास्तु कैसा होना चाहिए.

कोशिश करें कि मंदिर आप ईशान कोण में ही रख सकें. ईशान यानि कि घर का उत्तर पूर्वी कोना ईशान कोण होता है. मंदिर को इस दिशा में रखते हुए ये भी ध्यान रखना है कि मंदिर का मुंह दक्षिण की तरफ न हो. आप भी जब पूजा करने खड़े हों तब मुख दक्षिण की तरफ नहीं होना चाहिए.

पूजा के लिए सबसे अच्छी दिशा तब मानी जाती है जब पूजा करने वाले का मुख पूरब की तरफ हो. अगर आपका चेहरा पूरब की तरफ नहीं हो सकता तो मंदिर को पूर्व मुख करके रख दें जिससे आपका चेहरा पूजा करते समय पश्चिम की तरफ होगा.

घर का मंदिर कभी भी बेडरूम में नहीं होना चाहिए. मंदिर ऐसे कमरे में रखें जहां लगातार साफ सफाई होती रहती है. किसी ऐसी बालकनी में भी मंदिर न रखें जो आपके किसी काम नहीं आती है..

घर के मंदिर को सीधे कभी भी जमीन पर न रखें. मंदिर को किसी स्टूल, टेबल या पटे पर ही रखें. माना जाता है कि मंदिर को हमेशा जमीन से थोड़ा ऊपर होना चाहिए. ताकि उसके नीचे गंदगी हमेशा साफ होती रहे. साथ ही किसी के पैर भी उससे न लगें.

मंदिर को टांगना भी गलत है. वास्तु के अनुसार मंदिर को हमेशा टेबल या स्टूल पर रखना ही बेहतर होता है. मंदिर को टांगना वास्तु में वर्जित माना गया है.

जिस कमरे में आपने मंदिर रखा है ध्यान रखें कि वहां पूरी तरह कभी अंधेरा न हो. अगर रात में कमरे की लाइट्स ऑफ रहती हैं तो मंदिर में ही छोटा बल्ब लगा दें. ताकि घर का मंदिर हमेशा रोशन रहे.

घर के मंदिर में सुबह और शाम दोनों समय पूजा करना अच्छा होता है. पूजा के साथ ही दीपक भी जला सकें तो और भी बेहतर है. अगर दोनों समय पूजा नहीं कर सकते तो कम से कम सुबह पूजा कर दीपक जरूर जलाएं. अगर मंदिर पर पर्दा डालते हैं या पट बंद करते हैं तो उसे सुबह शाम नियमित रूप से जरूर खोलते रहें.

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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