इन दिनों क्यों Career Catfishing कर रहा ट्रेंड? झूठी स्किल्स और फेक एक्सपीरियंस से कैसे दिया जाता है चकमा

आजकल नौकरी की दुनिया में Career Catfishing तेजी से ट्रेंड कर रहा है। इसमें कैंडिडेट्स अपनी स्किल्स, एक्सपीरियंस और सर्टिफिकेट्स को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हैं, जिससे वे आसानी से जॉब ऑफर लेटर हासिल कर लेते हैं।

Bhawna Choubey
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जैसे-जैसे दुनिया बदल रही है, वैसे-वैसे तमाम प्रकार के बदलाव अब हमें अपने आस-पास ही देखने को मिलते हैं। आजकल जल्द Gen Z जनरेशन ने रिलेशनशिप के नए नए नाम रखे हैं, बल्कि नौकरियों को लेकर भी कई तरह के नए-नए नाम रखे हैं। जैसे ही माइक्रो रिटायरमेंट, करियर कैटफ़िशिंग , कॉफी बेजिंग वेकेशन जैसे कई Gen Z के टर्म इन दिनों ट्रेंड कर रहे हैं। इन्हीं सबमें से सबसे ज़्यादा कैटफ़िशिंग टर्म काफ़ी ज़्यादा पॉपुलर हो रही है। आज हम आपको इस आर्टिकल में टर्म कैटफ़िशिंग के बारे में विस्तार से बताएंगे, तो चलिए जानते हैं।

कैटफ़िशिंग को अगर सरल शब्दों में समझाया जाए, तो इसका यह मतलब होता है, इस टर्म के अनुसार कैंडिडेट जॉब का ऑफ़र लेटर लेने के बाद, ज्वाइनिंग के कुछ दिन पहले ही अचानक ग़ायब हो जाते हैं। अक्सर ऐसा तब होता है, जब कैंडिडेट्स को ऑफ़िस का वर्किंग एनवायरमेंट अच्छा नहीं लगता है, या फिर ऑफ़िस का स्टाफ़ अच्छा नहीं लगता है, या फिर अपनी जॉब प्रोफ़ाइल के बारे में सही और पूरी जानकारी न होना। यही कारण है कि अक्सर कई प्राइवेट कंपनियां Gen Z को जॉब पर रखने के लिए कतराती हैं, लेकिन सिर्फ़ इतना ही काफ़ी नहीं है, कहीं न कहीं प्राइवेट कंपनियों को भी इस विषय पर विचार करने की आवश्यकता है, कैटफिशिंग के इस ट्रेंड के चलते कंपनियों को भी अपनी रिक्रूटमेंट पॉलिसी को बदलने की आवश्यकता है। वर्क प्लेस के माहौल को बेहतर बनाने के लिए, थोड़े बदलाव करना चाहिए। लेकिन कैटफिशिंग सिर्फ़ नौकरी तक सीमित नहीं है, रिलेशनशिप में भी इस टर्म के बारे में बताया गया है।

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रिलेशनशिप और नौकरी में भी कैटफिशिंग

कैटफिशिंग टर्म आमतौर पर रिलेशनशिप में भी सुनने को मिलता है, दरअसल इसमें ऐसा होता है, की आप ऑनलाइन किसी के साथ जुड़े होते हैं, ऑनलाइन आप किसी के साथ होने का दिखावा करते हैं, जिसे डेटिंग स्कैम भी कहा जाता है। जिसमें आप ऑनलाइन किसी और के साथ रहते हैं, और असल ज़िंदगी में आप किसी और के साथ रहते हैं। नौकरी में यह टर्म इसलिए इस्तेमाल किया गया है, क्योंकि जब कैंडिडेट अपनी स्किल्स, एक्सपीरियंस और अपने झूठे सर्टिफ़िकेट के ज़रिये नौकरी का ऑफ़र तो पा लेते हैं, लेकिन जैसे ही ज्वाइनिंग की बात आती है, डर की वजह से कैंडिडेट पीछे हट जाते हैं, या फिर अगर जॉब भी ज्वाइन कर लेते हैं, तो ज़्यादा दिनों तक टिक नहीं पाते हैं।

स्किल छिपाना आसान क्यों हुआ ?

दरअसल, लॉकडाउन के बाद, ज़्यादातर कंपनियों ने वर्क फ़्रॉम होम कर दिया था, जिस वजह से कैंडिडेट के लिए अपनी स्किल छुपाना बेहद आसान हो गया, लेकिन अब लॉकडाउन वाली स्थिति नहीं है, अधिकतर कंपनियां वर्क फ्रॉम ऑफ़िस रखती है , जिस वजह से कैंडिडेट की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं, क्योकि स्किल्स छुपाना मुश्किल हो गया है।

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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