World Saree Day : सिर्फ परिधान नहीं परंपरा भी, दुनियाभर में पसंद की जाती है साड़ी

World Saree Day : आज विश्व साड़ी दिवस है। साड़ी के महत्व और खूबसूरती को दर्शाने के लिए 21 दिसंबर का दिन दुनियाभर में इस भारतीय परिधान के लिए निश्चित है। भारत में तो इसे एक तरह से अघोषित राष्ट्रीय परिधान भी कह सकते हैं। जब भी कोई खास अवसर या त्योहार होता है, लड़कियां और महिलाएं अधिकांशत: साड़ी पहनना ही पसंद करती हैं। इसीलिए साड़ी महज़ एक परिधान नहीं, हमारी परंपरा है। यही वजह है कि सालों साल परदादी, दादी, मां की साड़ियां अगली पीढ़ी को ट्रांसफर होती रही है और इसे हमेशा सहेजा गया है। साड़ी को आप जिस रूप में पहने, ये सौंदर्य को निखारने का काम करती है। इसीलिए आज भी हर लड़की के वॉर्डरोब में उसकी पसंद की कुछ खास साड़ियां जरुर होती हैं।

साड़ी बेहद खूबसूरत परिधान है। ऐसे कम वस्त्र होंगे जो बिना सिले इतने सुंदर और गरिमामय लगते होंगे। हालांकि समय से साथ जैसे जैसे जीवनशैली में परिवर्तन हुआ है, कपड़ों के चुनाव पर भी असर पड़ा है। साड़ी पहनना कुछ ज्यादा वक्त लगता है, इसका रखरखाव भी थोड़ा मुश्किल है और इसे संभालने में भी वक्त लगता है। इसीलिए अब ये नई पीढ़ी के लिए रोजमर्रा के परिधान की जगह फेस्टिव वियर बन गई है। लेकिन फिर भी चाहे जितने मॉडर्न कपड़े ट्रेंड में आ जाएं, साड़ी का आकर्षण और भव्यता कम नहीं हुई है। यही वजह है कि जब भी ट्रेडिशनल कपड़ों की बात आती है, साड़ी सबसे अव्वल नंबर पर होती है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।