World Sparrow Day: कंक्रीट के जंगल में अपना घरौंदा ढूंढ रही नन्ही गौरैया, ऐसे करें संरक्षण

Diksha Bhanupriy
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World Sparrow Day 2023: आंगन में चहचहाती गौरैया को हम चीं चीं, चिरैया, चिड़िया सहित कई तरह से नामों से जानते हैं। फुदकते हुए खुशहाल जीवन का रंग दिखाने वाला यह पक्षी कई देशों में पाया जाता है। हालांकि, बढ़ते प्रदूषण और अन्य कारणों की वजह से अब इनकी संख्या में काफी कमी आ गई है और इनके अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

यही वजह है कि गौरैया के प्रति लोगों के रुझान को बढ़ाने और उनके संरक्षण के लिए जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है। आज हम आपको इस दिन के बारे में और गौरैया के बारे में कुछ बातें बताते हैं।

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World Sparrow Day

World Sparrow Day 2023 की थीम

इस साल विश्व गौरैया दिवस की थीम “आई लव स्पैरो” रखी गई है। इस दिन की स्थापना द नेचर फॉरएवर सोसाइटी के संस्थापक मोहम्मद दिलावर की ओर से की गई थी और उन्होंने कई तरह के कार्यक्रम और परियोजनाएं भी शुरू की थी।

ये दिन सबसे पहले साल 2010 में इस दिन को मनाया गया था और 2011 में वर्ल्ड स्पैरो अवार्ड की स्थापना की गई यह उन लोगों को दिया जाता है जो पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पित हैं और लुप्त होती प्रजातियों के संरक्षण में योगदान दे रहे हैं।

 

विश्व गौरैया दिवस का महत्व

इस दिन को मनाने का एकमात्र उद्देश्य विलुप्ति की कगार पर जा रहे गौरैया पक्षी की रक्षा करना है। दिन पर दिन इनकी संख्या में कमी आती जा रही है और इस दिन को मनाने के पीछे यह कारण है कि लोगों को समझाया जा सके कि इनकी रक्षा करना हमारा धर्म है।

कौन है गौरैया?

गौरैया का वैज्ञानिक नाम पासर डोमेस्टिक है और ये पासेराडेई परिवार का हिस्सा है और कई सारे देशों में पाई जाती है। यह बहुत छोटी होती है और शहरों की जगह गांव में रहना इन्हें ज्यादा पसंद होता है।

World Sparrow Day

इनके वजन की बात करें तो अधिकतम यह 32 ग्राम तक की होती हैं और अनाज और कीड़े खा कर अपना जीवन यापन करती हैं। इनके बच्चे शुरुआती तौर पर सिर्फ कीड़ों पर ही निर्भर होते हैं। लेकिन आजकल पेड़ पौधों में कीटनाशक मिलाने के चलते कीड़े नहीं पनपते हैं, जिससे इन्हें भोजन मिलने में समस्या होती है।

संकट में है गौरैया

गौरैया एक संकटग्रस्त पक्षी है और कुछ अध्ययनों के मुताबिक इनकी संख्या में 60 फ़ीसदी तक की कमी आ गई है, जो एक खतरनाक स्तर है।

10 से 20 साल पहले तक इस पक्षी को सार्वजनिक स्थलों पर देखा जाता था, लेकिन अब ये नजारा नहीं दिखाई देता। यह एक ऐसा पक्षी है जो खुद को मौजूदा परिस्थितियों के अनुकूल बना लेता है यह भारत नहीं बल्कि यूरोप में भी बड़ी संख्या में पाई जाती है।

ऐसे बचाएं गौरेया

  • गौरैया को बचाने के लिए यह जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए जाएं, ताकि यह वहां पर अपने घरौंदे बनाकर रह सके।
  • उनके संरक्षण के लिए आप अपने घर की छत पर अनाज और पानी की उच्च व्यवस्था कर सकते हैं ताकि भूख लगने पर यह वहां आकर दाना चुग सके।
  • अगर आपको अपने घर में या आसपास कहीं भी गौरैया या किसी अन्य पक्षी का घौंसला दिखता है तो उसे कभी ना हटाए बल्कि उसकी रक्षा करें।
  • प्रदूषण इस पक्षी के लुप्त होने की मुख्य वजह है इसलिए जरूरी है कि हम कम से कम प्रदूषण करें ताकि इन पक्षियों के साथ आने वाले भविष्य की रक्षा भी की जा सके।

वर्ल्ड स्पैरो डे इस उद्देश्य के साथ मनाया जा रहा है कि मनुष्य में एक बार फिर इंसानियत जाग सके और वह इस नन्हे पक्षी की रक्षा के लिए कुछ कदम उठाए और एक बार फिर घर के आंगन में खेलते बच्चे गौरैया को देखकर चीं चीं करती आई चिड़िया दाल का दाना लाई चिड़िया, चिरैया रानी जैसी कविता और गीत गुनगुना सकें।


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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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