Psychological Facts : मनोविज्ञान एक ऐसी शाखा है जिसमें मनुष्य के मानसिक प्रक्रियाओं, व्यवहार और अनुभूतियों का अध्ययन किया जाता है। यह मानव मन की गहराईयों में जाकर उसके विभिन्न पहलुओं को समझने का प्रयास करती है। इस क्षेत्र में कई तरह के मनोवैज्ञानिक अध्ययन हुए हैं जिसके अंतर्गत मानसिक स्वास्थ्य, व्यक्तित्व, सामाजिक संबंध, शिक्षा और व्यावसायिक प्रभाव जैसे विषय शामिल हैं। इनमें कई दिलचस्प तथ्य निकलकर सामने आए हैं, जिनमे से कुछ हम आपके साथ साझा कर रहे हैं।
मनोवैज्ञानिक तथ्य
- जम्हाई हमें एक ‘बॉन्ड’ में बांधने में मदद करती है। जब कोई और जम्हाई लेता है तो आप क्यों उबासी लेते हैं, भले ही आप कितने भी थके न हों? इस बारे में कुछ सिद्धांत हैं कि उबासी या जम्हाई संक्रामक क्यों है। लेकिन इसके प्रमुख सिद्धांतों में से एक यह भी है कि यह सहानुभूति को दर्शाता है। जब किसी और को देखकर आप भी जम्हाई लेते हैं तो ये अपरोक्ष रूप से एक बॉन्ड क्रिएट करता है। वहीं जिन लोगों द्वारा सहानुभूति दिखाने की संभावना कम होती है – जैसे कि ऐसे बच्चे जिन्होंने अभी तक इसे नहीं सीखा है या ऑटिज्म से पीड़ित लोग, उनमें अन्य लोगों की तुलना में किसी को देखकर जम्हाई लेने की संभावना कम होती है।
- जब कोई नियम बहुत सख्त होगा तो उसे तोड़ने की संभावना अधिक होगी। मनोवैज्ञानिकों ने प्रतिक्रिया (reactance) नामक एक घटना का अध्ययन किया है, जिसमें जब लोगों को लगता है कि उनकी कुछ स्वतंत्रताएं छीन ली गई हैं तो अपनी स्वतंत्रता को फिर प्राप्त करने के प्रयास में भी उस नियम को अधिक तोड़ते हैं।
- हमारा पसंदीदा विषय हम स्वयं हैं। हार्वर्ड के एक अध्ययन के अनुसार, जब हम दूसरे लोगों के बारे में बात कर रहे होते हैं, तब की तुलना में जब हम अपने बारे में बात कर रहे होते हैं, तो हमारे दिमाग को ज्यादा अच्छा महसूस होता है।
- क्या आपको भी कभी कोई प्यारी चीज़ देखकर उसे दबाने, निचोड़ने या मसल देने का खयाल आया है ? इसे मनोविज्ञान में cuteness aggression कहा जाता है, और जो लोग ऐसा महसूस करते हैं वे वास्तव में उस प्यारी चीज को कुचलना नहीं चाहते हैं। फ्रंटियर्स इन बिहेवियरल न्यूरोसाइंस में प्रकाशित शोध में पाया गया कि जब हम सकारात्मक भावनाओं से अभिभूत महसूस कर रहे होते हैं, उदाहरण के लिए किसी बहुत प्यारे पपी को देखकर तब ये थोड़ी सी आक्रामकता हमें उस उच्च भाव को संतुलित करने में मदद करती है।
- हमारा दिमाग उबाऊ भाषणों को और अधिक रोचक बनाने की कोशिश करता है। ग्लासगो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि जिस तरह हम ध्यान से पढ़ते समय अपने सिर में उसकी आवाजें सुनते हैं, उसी तरह हमारा दिमाग उबाऊ भाषणों पर भी प्रतिक्रिया करता है। यदि कोई नीरस ढंग से बोल रहा है, तो हम अवचेतन रूप से इसे अपने दिमाग में ” जीवंत बातचीत” के रूप में परिवर्तित कर देते हैं।
(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)