डर से भी मिलता है मज़ा, दिमाग की बत्ती जला देंगे ये आश्चर्यजनक मनोवैज्ञानिक तथ्य

यदि हमारे पास कोई प्लान-बी है, तो हमारे प्लान-ए के सफल होने की संभावना कम है। पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के प्रयोगों की एक श्रृंखला में, शोधकर्ताओं ने पाया कि जब लोगों ने अपना काम शुरू करने से पहले एक बैकअप प्लान के बारे में सोचा, तो उन्होंने उन लोगों की तुलना में ख़राब प्रदर्शन किया जिन्होंने किसी प्लान बी के बारे में नहीं सोचा था। इससे भी अधिक, जब उन्हें एहसास हुआ कि उनके पास विकल्प हैं तो पहली बार में सफल होने की उनकी प्रेरणा खत्म हो गई।

Psychology

Psychological Facts : मनोविज्ञान में मानव व्यवहार, क्रियाओं और मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। यह विचारशीलता, भावनाएं, अनुभव, सोचने की प्रक्रियाएं, सामाजिक व्यवहार और भावनात्मक स्वास्थ्य सहित विभिन्न मानसिक प्रक्रियाओं को अध्ययन करता है। लंबे समय से इस क्षेत्र में विभिन्न अध्ययन हुए हैं जिनमें कई रोचक तथ्य निकलकर सामने आए हैं। मनोवैज्ञानिक तथ्य आमतौर पर वैज्ञानिक अध्ययनों, प्रयोगों और अनुभवों के आधार पर प्राप्त किए जाते हैं। आज हम आपके साथ ऐसे ही कुछ तथ्य साझा कर रहे हैं।

मनोवैज्ञानिक तथ्य

  1. लोग अपनी स्वामित्व वाली वस्तुओं को महत्व देते हैं। चीज़ें तब अत्यधिक मूल्यवान होती हैं जब वे आपकी हों। यही कारण है कि व्यक्तिगत संपत्ति को छोड़ना बहुत मुश्किल है, भले ही वे विशेष रूप से उपयोगी न भी हों। इसीलिए आपने देखा होगा कि लोग अपनी छोटी से छोटी चीज को भी अधिक कीमती मानते हैं।
  2. डर अच्छा लग सकता है, अगर हम वास्तविक खतरे में नहीं हैं तब। डर से हमें मज़ा भी आ सकता है। इसका एक उदाहरण हॉरर फिल्में हैं। हालांकि हर किसी को डरावनी फिल्में पसंद नहीं हैं, लेकिन जो लोग डरावनी फिल्में पसंद करते हैं उनके लिए कुछ सिद्धांत हैं – जिनमें से मुख्य है हार्मोन। जब आप कोई डरावनी फिल्म देख रहे होते हैं या किसी हॉन्टेड कहे जाने वाले घर से गुजर रहे होते हैं, तो आपको  एड्रेनालाईन, एंडोर्फिन और डोपामाइन (adrenaline, endorphins, and dopamine) मिलते हैं। उस समय इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितना डरा हुआ महसूस करते हैं क्योंकि आपका मस्तिष्क पहचानता है कि आप किसी असली खतरे से डरे हुए नहीं हैं। वास्तविक डर वास्तविक खतरे में है और जब ये नहीं होता तो आप उस डर में भी अच्छा महसूस कर सकते हैं।
  3. हम बड़ी त्रासदियों की तुलना में एकल व्यक्ति की अधिक परवाह करते हैं। पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में, एक समूह को एक छोटी लड़की के बारे में पता चला जो भूख से मर रही थी, दूसरे समूह को लाखों लोगों के भूख से मरने के बारे में पता चला और तीसरे को दोनों स्थितियों के बारे में पता चला। अधिक आँकड़े सुनने की तुलना में छोटी लड़की के बारे में सुनकर लोगों ने दोगुने से भी अधिक धनराशि दान की। यहाँ तक कि जिस समूह ने बड़ी त्रासदी के संदर्भ में उसकी कहानी सुनी थी, उसने भी कम दान दिया। मनोवैज्ञानिक सोचते हैं कि हम सामने वाले व्यक्ति की मदद करने के लिए बने हैं, लेकिन जब समस्या बहुत बड़ी लगती है, तो हमें लगता है कि हमारा छोटा सा हिस्सा ज्यादा कुछ मदद नहीं कर रहा है।
  4. क्या आपको भी अपने हाथ की बनी पनीर की सब्जी से बेहतर किसी और के हाथ की बनी दाल लगती है ? ये एक तथ्य है कि खाना तब और अच्छा लगता है जब कोई दूसरा उसे बनाता है। क्या आपने कभी सोचा है कि किसी दुकान से लिया हुआ सैंडविच का स्वाद आपके द्वारा घर पर बनाए गए सैंडविच से बेहतर क्यों होता है, भले ही आप उसी सामग्री का उपयोग करते हों? जर्नल साइंस में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि जब आप अपने लिए भोजन बनाते हैं, तो आप इतने लंबे समय तक उसके आसपास रहते हैं कि जब तक आप वास्तव में उसे खाते हैं तो वो कम रोमांचक लगता है,  इसके बाद आपका खाने और स्वाद लेने का आनंद कम हो जाता है। जबकि कोई और खाना बनाता है तो उस प्रक्रिया का हिस्सा न होने के कारण आपको वो स्वाद अधिक महसूस होता है।
  5. हम सदैव उपकार का बदला चुकाने का प्रयास करते हैं। यह सिर्फ अच्छा व्यवहार नहीं है। “पारस्परिकता का नियम” बताता है कि हमें किसी ऐसे व्यक्ति की मदद करने के लिए प्रोग्राम किया गया है जिसने हमारी मदद की है। यह शायद इसलिए विकसित हुआ, क्योंकि समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए लोगों को एक-दूसरे की मदद करने की ज़रूरत है।

(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)

 

 

 

 


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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