राष्ट्रीय पक्षी मोर के 15 शव पहाड़ी पर मिले, जहरीला दाना खिलाने की आशंका

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर में एक पहाड़ी पर राष्ट्रीय पक्षी मोर (National Bird Peacock)  के शव मिले हैं।  शवों की संख्या 15 बताई गई है जिसमें 7 नर और 8 मादा हैं। आशंका जताई जा रही है कि किसी शिकारी ने इन्हें जहरीला दाना देकर मारा है। शव मिलने की सूचना पर पुलिस और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और मोर के शवों को पीएम के लिए भेज दिया।

ग्वालियर के बहोड़ापुर थाना क्षेत्र के टंकी वाले हनुमान मंदिर की पहाड़ी पर दर्शन के लिए आने वाले लोग उस समय चौंक गए जब उन्हें पहाड़ी पर मरे हुए मोर दिखाई दिये।  राष्ट्रीय पक्षी मोर (National Bird Peacock) के शवों को देखकर लोगों ने पुलिस (Police) और वन विभाग (Forest Department)को सूचना दी। मौके पर पहुंची वन विभाग और पुलिस की टीम ने शवों को एक जगह उठाकर रखा।  जब गिनती की गई तो मरे हुए मोरों में 7 नर और 8 मादा मोर मिले।

पुलिस और वन विभाग की टीम ने पहाड़ी पर मोरों के शव मिलने वाले स्थान के आसपास जाँच पड़ताल और पूछताछ की।  शुरूआती जाँच में मोरों की मौत संदिग्ध बताई जा रही है। आशंका जताई जा रही है किसी शिकारी ने इन मोरों को जहरीला दाना खिलाकर मारा है।  वन विभाग ने मोरों के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पीएम रिपोर्ट के बाद ही खुलासा हो सकेगा कि इतनी बड़ी संख्या में एक साथ मोरों की मौत कैसे हुई।

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गौरतलब है कि राष्ट्रीय पक्षी मोर के पंखों का बहुत बड़ा व्यापार है दीपावली पर मोर पंखों की मांग भी बढ़ जाती है  इसलिए शिकारियों की नजर मोरों पर रहती है।  जब मोर मर जाते  हैं तो शिकारी इनके पंख खींच लेते हैं और बाजार में बेचने के लिए उपलब्ध कराते हैं।

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गौरतलब है कि मोरों के शव मिलने का सिलसिला ग्वालियर में कोई नया नहीं है इसी स्थान पर पिछले साल भी 13 मोरों की मौत हुई थी, इसके अलावा जिले के अन्य क्षेत्रों में मोरों के शव मिलने की घटनाएं सामने आती हैं लेकिन वन विभाग का अमला राष्ट्रीय पक्षी की रक्षा को लेकर गंभीर दिखाई नहीं देता इसीलिये शिकारी आसानी से राष्ट्रीय पक्षी मोर को निशाना बना लेते हैं।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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