भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मुख्यमंत्री की अध्यापक संवर्ग के लिए घोषणा के विपरीत राज्य शिक्षा सेवा लागू करा कर मुख्यमंत्री की छबि धूमिल करने के षडयंत्र का पर्दाफाश कराने हेतु उच्च स्तरीय जांच कराई जाए- राकेश दुबे
अब जबकि राज्य शिक्षा सेवा को मध्यप्रदेश में लागू हुए लगभग तीन वर्ष पूरे हो गए हैं तब इसका नफा-नुकसान खुलकर सामने आ रहा है। यदि केवल गृह भाडा भत्ता को छोड दिया जावे तो ऐसा कुछ भी अतिरिक्त नहीं है जो इस राज्य शिक्षा सेवा में अध्यापक संवर्ग से हटकर मिल रहा हो, क्योंकि वर्ष 2007 में जबसे शिक्षाकर्मी,गुरूजी और संविदा शिक्षक को अध्यापक बनाया गया था, तब से स्थानांतरण, अनुकम्पा नियुक्ति, प्रतिनियुक्ति, नवीन वेतनमान, नयी पेंशन योजना, बैंक ऋण सुविधा आदि के लाभ अध्यापक संवर्ग को भी प्राप्त हो रहे थे और संवर्ग के कर्मचारियों की वरिष्ठता भी उनके प्रथम नियुक्ति दिनांक से मान्य हो रही थी, ऐसे में राज्य शिक्षा सेवा का लागू होना एक सोचे समझे षडयंत्र से कम कुछ नहीं है।
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राज्यशिक्षा सेवा अध्यापक संवर्ग के लिए हानिकारक तो है ही, यह मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी को झूठा साबित कर कलंकित करने का एक सोचा समझा सुनियोजित षड्यंत्र भी था, जिसमें अफसरशाही के साथ साथ कई की भूमिका संदिग्ध रही है। इसकी उच्च स्तरीय जांच होना चाहिए। उपरोक्त आरोप लगाते हुए मध्यप्रदेश शासकीय अध्यापक संगठन के प्रांताध्यक्ष राकेश दुबे का कहना है कि प्रदेश में राज्यशिक्षा सेवा की अवधारणा 2013 में ही बन चुकी थी और इसके तहत एरिया एजुकेशन ऑफिसर (AEO) की चयन परीक्षा भी ले ली गई थी ,परंतु इस राज्यशिक्षा सेवा की विसंगतियों के कारण उपजे व्यापक विरोध के कारण फिर इसका क्रियान्वयन आम शिक्षक और अध्यापक के ऊपर रोक दिया गया था । परन्तु उच्च स्तर के कार्यालयों में बैठे अधिकारी अपनी पदोन्नति कराकर इससे लाभान्वित होते रहे।
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फिर लगातार अध्यापक संवर्ग द्वारा की जा रही शिक्षा विभाग में संविलियन की मांग को देखकर माननीय मुख्यमंत्री ने जनवरी 2018 में एक पद- एक विभाग की घोषणा करते हुए समूचे अध्यापक संवर्ग को शिक्षक बनाते हुए शिक्षा विभाग में मर्ज करने की घोषणा की थी। “परंतु अफसरशाही ने जब जुलाई 2018 में आदेश जारी किए तो न तो मूल शिक्षा विभाग था और न ही ज्यों का त्यों शिक्षक का पद”। एक अलग ही व्यवस्था बना दी गई “राज्यशिक्षा सेवा” और अलग पदों का सृजन हो गया प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षक ! और उस पर भी कोढ़ में खाज यह कि पूर्व के सेवाकाल की हमारी पूरी वरिष्ठता को समाप्त करते हुए हमारा प्रथम नियुक्ति दिनाँक 01जुलाई 2018 कर दिया गया और यह भेद माननीय मुख्यमंत्री महोदय के समक्ष न खुल सके, इसे मददे नजर रखते हुए तत्कालीन आयुक्त लोकशिक्षण भोपाल ने अगस्त 2018 में अखबारों में वि ज्ञापन जारी किया कि इसकी सेवा शर्तें जारी करने की आवश्यकता नहीं है और फिर भी हमारे ही संवर्ग के कुछ संगठनों ने इस राज्य शिक्षा सेवा का जोर शोर से समर्थन किया । आज उक्त राज्य शिक्षा सेवा का दुष्परिणाम यह है कि वर्ष 01 जुलाई 2006 के बाद भर्ती होने वाले संविदा शाला शिक्षकों को आज 15 वर्ष बीत जाने के बाद भी उस प्रथम क्रमोन्नति का लाभ नहीं प्राप्त हुआ जो उन्हें 12 वर्ष के उपरांत ही मिल जाना था, ऐसा माननीय शिवराज जी के लंबे कार्यकाल में शायद पहली बार हुआ है, अब तो यह भी अध्यापक संवर्ग के साथ-साथ माननीय के खिलाफ षडयंत्र का हिस्सा प्रतीत हो रहा है।
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इस राज्यशिक्षा सेवा को लागू करने का षड्यंत्र रचने वालो को पता था कि जब यह व्यवस्था लागू होगी और इससे अध्यापक संवर्ग की वरिष्ठता शून्य होगी तब इसके दुष्प्रभाव स्वरूप अध्यापक संवर्ग जिस तरह से आक्रोशित होगा उसका सीधा दुष्प्रभाव 2018 के विधानसभा चुनाव में पड़ेगा और इस राज्यशिक्षा सेवा के कलंक का जिम्मेदार मानते हुए माननीय शिवराज जी को उसका नुकसान उठाना पड़ेगा और ऐसा हुआ भी। और यही कारण भी था कि जिस राज्यशिक्षा सेवा को अगस्त 2018 में माननीय कमलनाथ जी ने अध्यापक संवर्ग के लिए धोखा घोषित किया था जनवरी 2019 में उसे ज्यों का त्यों लागू कर दिया ताकि इसे बनाने का कलंक सदैव शिवराज जी के माथे पर मढ़ा रहे। और हमारे ही कुछ साथियों का उक्त राज्यशिक्षा सेवा को लेकर उत्साह मनाना कही न कही उस षड्यंत्र में उनके शामिल होने की ओर भी इंगित करता है।
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म.प्र.शासकीय अध्यापक संगठन अपने अध्यापक संवर्ग के हितों के हनन के साथ-साथ पूर्ण वरिष्ठता के साथ कर्मी कल्चर खत्म करने वाले मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी चौहान की उज्जवल छबि को धूमिल करने वाले इस षड्यंत्र की न केवल निंदा करता है बल्कि इसमें शामिल अधिकारियों, कर्मचारियों, नेताओं की भूमिका एवं संलिप्तता की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की मांग करता है ताकि भविष्य में कोई और इस तरह के षड्यंत्र रचने का दुःसाहस न कर सके।
निवेदक
राकेश दुबे
म.प्र.शासकीय अध्यापक संगठन
प्रांताध्यक्ष
9893600170