आगर मालवा। गिरीश सक्सेना।
दबाव डालकर फरियादी बनाए गए सूरज के द्वारा कोर्ट में दिए गए शपथ पत्र और अन्य पीड़ितों द्वारा कैमरे पर दर्ज कराए गए बयानों को यदि सही माना जाए तो एक बार फिर खाकी और डॉक्टरी पेशे की कार्यप्रणाली पर दाग लगे है ।
मामला है आगर मालवा जिले की सुसनेर और आगर पुलिस का जिन पर हफ्ता वसूली ना होने पर झूठे प्रकरण बनाने का आरोप लगा है । यही नही सुसनेर पुलिस पर उसकी पकड़ में आए इन आरोपियों में से एक आरोपी को थाना कोतवाली आगर को सोपने ( गिफ्ट ) करने की बात भी आरोपो में सामने आ रही है जिस पर थाना आगर द्वारा भी आर्म्स एक्ट में प्रकरण दर्ज कर उसे जेल भिजवा दिया गया है वहीं आरोपियों का मेडिकल करने वाले सुसनेर स्वास्थ केंद्र के डॉक्टर मनीष कुरील पर भी अपने पेशे के साथ इंसाफ ना करते हुए आरोपियो से ब���ना पूछताछ बिना निरीक्षण करे गलत मेडिकल रिपोर्ट बनाने के आरोप लग रहे है हालांकि डॉक्टर का कहना है कि आरोपियों से पूछने पर आरोपीयो ने शरीर मे किसी भी प्रकार की चोट होने से इंकार किया था इसलिए उन्होंने नार्मल पोजिशन की मेडिकल रिपोर्ट बनाई है
वहीं सुसनेर पुलिस के आरक्षक शम्भू जाट, सुसनेर थाना प्रभारी योगेंद्रसिंह सिसोदिया के साथ ही आगर पुलिस ने उन पर लगाए गए आरोपो को गलत बताते हुए श्यामसिंह के पिछले आपराधिक रिकार्ड होने की बात भी कही है । हालांकि प्रथम द्रष्टा जो तथ्य सामने आए है उसके अनुसार सुसनेर की मोड़ी रोड के नजदीक सोयत रोड पर ढाबा का संचालन करने वाले भगवानसिंह और श्यामसिंह ने बताया कि सुसनेर थाने पर पदस्थ “आरक्षक” शम्भू जाट अक्सर उनके ढाबे पर अपने मित्रों के साथ आ जाता था और बिना भुगतान किए भोजन कर चला जाता था कुछ समय तक तो हमने यह सब सहा पर जब मामला कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगा तो हमने शम्भू जाट को बिना भुगतान भोजन कराने से मना कर दिया जिससे वह आग बबूला हो गया और फिर हमसे हफ्ते की मांग करने लगा जब हमने उसे हफ्ता देने से मना कर दिया तब वह हमें देख लेने की धमकी देते हुए वह वापस चला गया ।
इसके बाद जब 27/3/19 को दोपहर 3 बजे के लगभग हम अपने 3 राजस्थान से आए मित्रो भारतसिंह, धीरवसिंह और सूरज के साथ बैठे हुए थे तभी शम्भूसिंह अपने साथ 2 अन्य पुलिस वाले को लेकर आया और हम सब के साथ लठ और पैरों से जमकर मारपीट करने लगा तथा हमे जबरजस्ती सुसनेर थाने पर ले जाने लगा इस बीच शम्भूसिंह हमे सुसनेर स्वास्थ केंद्र में भी ले गया जहां डॉक्टर कुरील ने हमसे बिना पूछ ताछ और बिना निरीक्षण किए मेडिकल कर दिया ।
इसके बाद हम पांचों को सुसनेर थाने पर ले जाया गया और उसके बाद कि कहानी इन पांचों में से ही एक सूरज ने नोट्राइज्ड शपथ पत्र जिसे उसने आरोपीयो की जमानत हेतु सुसनेर कोर्ट में भी प्रस्तुत किया गया है के माध्य्म से सामने आई है । शपथ पत्र के अनुसार शम्भूसिंह ने सूरज से एक शिकायती आवेदन पर हस्ताक्षर करने को कहा जिसमे अन्य चारो पर सूरज की ओर से झूठे झूठे आरोप लगाए गए थे पर सूरज ने आरोप असत्य होने से उस पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया तब शम्भू सिंह ने सूरज के साथ भी और मार पीट करने के साथ ही उसको भी भैरवगढ़ जेल भेजने की धमकी दी तब सूरज ने दबाव में आकर शिकायती आवेदन पर हस्ताक्षर कर दिए और इसके बाद दोनों डाबा संचालको भगवानसिंह, श्यामसिंह के साथ ही राजस्थान से आए उनके एक मित्र भारत सिंह पर आर्मसएक्ट के अलग अलग 3 प्रकरण जिनका क्रमांक 127/19, 128/19 एवं 129/19 है बना दिए गए वहीं राजस्थान के ही एक अन्य मित्र धीरवसिंह को सुसनेर पुलिस ने आगर पुलिस के हवाले ( गिफ्ट ) कर दिया जहां आगर पुलिस ने भी धीरवसिंह पर एक आर्मएक्ट का प्रकरण 210/19 बना दिया गया ।
यहां ये बताना जरूरी है कि लोकसभा निर्वाचन के दैरान ऊपर से प्राप्त निर्देशो के चलते हर थाना अपने आपको अधिक अलर्ट बताने के चक्कर मे आर्म एक्ट, आबकारी एक्ट, एनडीपीएस एक्ट जैसे प्रकरणों में अधिक से अधिक कार्यवाही करने का प्रयास कर रहा है। जहां एक और सुसनेर के तीनो आरोपियों को जब कोर्ट में पेश किया गया तब आरोपीयो के बताए अनुसार उन्हें लगी चोट के निशान, ऊपर से गलत मेडिकल रिपोर्ट के साथ ही सूरज द्वारा दिए गए शपथ पत्र के आधार पर इन तीनो को तो सुसनेर कोर्ट से जमानत मिल गई पर आगर में भरतसिंह को आर्मसएक्ट के प्रकरण में कोर्ट द्वारा जेल भेज दिया गया है ।
सुसनेर कोर्ट से जमानत मिलने के बाद आरोपी बनाए गए डाबा संचालक भगवानसिंह, श्यामसिंह और भरतसिंह के साथ ही सूरज जो शम्भूसिंह की पिटाई से घायल थे अपने साथ हुई नाइंसाफी की शिकायत और दोबारा मेडिकल कराने की मंशा से जब एक बार फिर सुसनेर के स्वास्थ केंद्र पहुचे तो वहां डाक्टर मनीष कुरील ने उनका दोबारा से मेडिकल करने से मना कर दिया इसके बाद ये सभी अपना मेडिकल कराने जिला चिकित्सालय आगर पहुचे पर यहां भी डॉक्टरों ने डॉक्टरों के प्रति समर्पण भाव दिखाते हुए आरोपियो का मेडिकल करने से मना कर दिया ऐसे में इन आरोपी पीड़ितों ने पत्रकार की मदद ली तब जाकर पीड़ितों का मेडिकर डॉक्टर ने कर एक तहरीर पुलिस थाना आगर में पहुचाई है।
यदि सूरज के शपथ पत्र को और आरोपीयो द्वारा सुसनेर और अगर पुलिस के आचरण के संबंध में जो खुलासे कैमरे पर किए गए है यदि वह सही है तब निश्चित ही यह एक अत्यंत गंभीर मामला है और जिसकी जांच कर दोषियों को दंडित करना अनिवार्य हो जाता है साथ ही यह प्रकरण ये भी बताता है कि पुलिस का एक छोटा सा भी सिपाही किस तरह अपनी खुन्नस निकालने के लिए सिस्टम की किसी कमजोरी को अपनी ताकत बना लेता है। हालांकि प्रकरण के पीड़ित अब इस प्रकरण में आगे शिकायत करने की बात कह रहे है पर अब यह तो समय ही बताएगा कि उन्हें किस तरह का न्याय इस शक्तिशाली सिस्टम से भिड़ने पर मिलता है ।