लोकतंत्र बचाओ यात्रा लेकर एक सैकड़ा साधुओं के साथ मुंगावली पहुंचे कम्प्यूटर बाबा

Gaurav Sharma
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अशोकनगर/मुंगावली, स्वदेश शर्मा। हमेशा चर्चा में रहने वाले संत कम्प्यूटर बाबा अपनी लोकतंत्र बचाओ यात्रा लेकर रविवार को मुंगावली पहुंचे, जहां उन्होंने एक सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि धर्म की जय ही अधर्म का नाश हो। उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया, शिवराज सिंह से लेकर ब्रजेन्द्र सिंह तक पर जमकर हमला बोला और कहा कि इनको बिकना ही था तो जनता से पूछकर बिकते बताओ किसी से पूछा। उन्होंने तीन शर्तों पर सरकार गिराने का आरोप ज्योतिरादित्य पर लगाया। आगे कंप्यूटर बाबा ने कहा कि इन्होंने जनता के विश्वास को बेचा है। बाबा ने कहा कि यह लड़ाई भाजपा और कांग्रेस की नहीं है अब धर्म और अधर्म की लड़ाई है और इसके लिए साधु संत मैदान में है। हमने बचपन से सुना है कि धर्म की जय हो अधर्म का नाश हो। इसके अलावा कम्प्यूटर बाबा ने अवैध उत्खनन पर शिवराज को घेरते हुए कहा कि कमलनाथ सरकार में दस हजार डम्फर जब्त किए गए, जबकि इनकी पन्द्रह सालों के कार्यकाल में पांच सौ डंपर भी नहीं पकडे गए।

पैदल तिरंगा लेकर सड़क पर उतरे बाबा

सभा स्थल पर पहुंचने से पहले कम्प्यूटर बाबा अपने साथ चल रहे सैकड़ों सन्तों के साथ सड़क पर पैदल ही निकल पड़े और इनके हाथ में तिरंगा और भगवा ध्वज दिखाई दिए। साथ ही लोकतंत्र बचाने के लिए जमकर नारेबाजी की। इस तरह अचानक साधुओं को सड़क पर उतरकर भाजपा का विरोध करते देख लोग भी अचंभित रह गये। इस सभा में साधुओं ने सिंधिया परिवार पर काफी गम्भीर आरोप लगाये और माधवराव ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी आगे बढ़कर दिल्ली से आये हर्षितानन्द जी ने बसुंधरा राजे सी सिंधिया पर भी जमकर हमला बोला और नाबालिग बच्चियों को लेकर काफी बड़ी और अमर्यादित आरोप लगाते नजर आए।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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