अशोक नगर जिला अस्पताल के SNCU वार्ड में आग, परिजनों में अफरा-तफरी, 18 बच्चे थे भर्ती

Atul Saxena
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Ashok Nagar News : अशोकनगर जिला चिकित्सालय में बीती बात एक बड़ा हादसा होते होते बच गया, यहाँ नवजात बच्चों के वार्ड स्पेशल केयर न्यू बोर्न यूनिट (एसएनसीयू) में शॉर्ट सर्किट हो गया जिसके कारण वहां हडकंप मच गया, घटना के समय वार्ड में 18 नवजात बच्चे भर्ती थे, सभी को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।

जिला अस्पताल में सोमवार की रात उस समय अचानक हडकंप मच गया जब SNCU वार्ड में एक वार्मर में शॉर्ट सर्किट हुआ और उससे भड़की चिंगारी से धुआं उठने लगा, जिनके बच्चे वार्ड में भर्ती थे उन्होंने आग को देखा तो वो किसी अनिष्ट की आशंका से घबरा गए और अन्दर घुस कर अपने बच्चों को सुरक्षित निकालने लगे।

अशोक नगर जिला अस्पताल के SNCU वार्ड में आग, परिजनों में अफरा-तफरी, 18 बच्चे थे भर्ती

घटना के समय मौजूद स्टाफ ने आग पर काबू पाने के लिए में स्विच बंद कर दिया जिससे आग ज्यादा नहीं भड़क पाई, लेकिन परिजनों को अस्पताल के सुरक्षाकर्मियों द्वारा रोकने के कारण उन्होंने जमकर हंगामा किया, बाद में उन्हें अन्दर जाने दिया गया, कई माँ अपने नवजात को दुलार करती सीने से लगाई दिखी तो उनके बुजुर्ग साड़ी के पल्लू से उसे हवा करते दिखाई दिए।

अशोक नगर जिला अस्पताल के SNCU वार्ड में आग, परिजनों में अफरा-तफरी, 18 बच्चे थे भर्ती

ड्यूटी डॉक्टर डॉ ऋषभ शर्मा  के मुताबिक एक वार्मर में शोर्ट सर्किट हुआ था जिस पर तत्काल कंट्रोल कर लिया गया, कुछ उपकरण जल गए हैं, इलेक्ट्रीशियन को बुलाकर दिखवा लिया हैं, आग और धुएं के कारण बच्चों के परिजन घबरा गए थे , वहां 18 बच्चे थे सभी सुरक्षित हैं, उन्हें वापस से SNCU में वार्मर में पहुंचा दिया गया है अभी हालत सामान्य हैं।

बहरहाल इस घटना ने कुछ देर ही सही उन परिजनों की जान हलक में अटका दी जिनके बच्चे अन्दर भर्ती थे, अगर जरा सी लपारवाही हुई होती तो बड़ा हादसा हो जाता। गौरतलब है कि गर्मी के मौसम ने वैसे भी तापमान अधिक होता है और SNCU में चौबीस घंटे AC चलते हैं जो वार्मर होते हैं वो भी चालू रहते हैं यानि वहां की वायरिंग में हमेशा करंट रहता है, इसलिए समय रहते इस पर ध्यान देते रहना चाहिए जिससे शोर्ट सर्किट की गुंजाईश ना रहे।

अशोक नगर से हितेंद्र बुधोलिया की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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