कोरोना पर तकरार …विधायक बोले गले में ख़राश है, मंत्री ने कहा कोरोना की जांच कराओ

Gaurav Sharma
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अशोकनगर,हितेंद्र बुधोलिया। जिला मुख्यालय में आयोजित मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के शुभारंभ कार्यक्रम के बाद कांग्रेस के विधायक द्वारा मंच पर भाषण ना देने के मामले में उनके एवं भाजपा के मंत्री के बीच हुई जुवानी तकरार ने चुनावी माहौल में गर्मी पैदा कर दी है। चन्देरी विधायक गोपाल सिंह चौहान जब यह कहा कि गले मे ख़राश है, तो जवाब में राज्य मंत्री ब्रजेन्द्र सिंह यादव ने उन्हें कोरोना की जांच कराने की हिदायत दे डाली।

दरअसल, बुधवार को जिला प्रशासन द्वारा मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के तहत अन्न उत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान जब भाषण देने के लिए चंदेरी विधायक गोपाल सिंह चौहान को माइक दिया गया तो उन्होंने भाषण नहीं दिए। जब कार्यक्रम समाप्त होने के बाद वे बाहर निकले और उनसे पत्रकारों ने भाषण न देने का कारण पूछा गया तो चंदेरी विधायक ने कहा कि मेरे गले मे ख़राश है, मैंने इसलिए भाषण नहीं दिए। साथ ही यह भी कहा कि यह आयोजन शासकीय है इसमे कांग्रेस की आलोचना की जा रही थी।

विधायक के इस जवाब पर मप्र सरकार के राज्य मंत्री ब्रजेन्द्र यादव ने उनको नसीहत देते हुए कह डाला कि अगर उनके गले मे ख़राश है तो वे इलाज कराएं ओर कोरोना की जांच कराएं। साथ ही यह भी कहा कि चंदेरी विधायक को राजनैतिक आयोजनो में भाषण देने में कोई दिक्कत नहीं होती। लेकिन जनता के इस आयोजन में बोलने में गले मे ख़राश होने लगी। उल्लेखनीय है राज्यमंत्री हाल ही में कोरोना से मुक्त हुए है।जबकि पूर्व विधायक जजपाल सिह जज्जी भी कोरोना संक्रमित हो चुके है। ऐसे में जिले एक मात्र विधायक गोपाल सिंह चौहान को गले मे खराश की शिकायत होने एवं उसकी तकलीफ के कारण भाषण ना देने पाने पर राज्यमंत्री की चिंता भी जायज है, क्योंकि वह हाल ही में करीब 12 दिन तक कोरोना संक्रमण के कारण अस्पताल में बिता कर आये है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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