Murder: पैसे लेने गए दंपती पर चाकुओं से किया हमला, पति की मौत, पत्नि गंभीर

Gaurav Sharma
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अशोकनगर, हितेंद्र बुधौलिया| सिटी कोतवाली के तहत चौधरी मोहल्ला में पैसो को लेकर हुए विवाद में एक युवक  सचिन राजपूत की चाकू मार कर हत्या (Murder) कर दी गई।जबकि उसकी पत्नी गंभीर रूप से घायल है, जिसे जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है। मामला समूह के पैसो के लेनदेन का बताया जा रहा। इसी को लेकर विवाद हुआ है।

मनोज शर्मा नाम के व्यक्ति पर हत्या (Murder) का आरोप है जो घटना के बाद मौके से फरार हो गया। घटना के बाद  आसपास के लोगों द्वारा पति पत्नी को उपचार के लिए एंबुलेंस की मद्द से जिला अस्पताल लाया गया था, जहां पति को चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। तो वही पत्नि की हालत नाजुक बनी हुई है।

जानकारी के मुताबिक लंबरदार मोहल्ला निवासी आर्शी राजपूत ने बताया कि उन्होंने बंधन समूह से लोन लिया है, जिसके चलते प्रति सप्ताह किश्त जमा होती है। इसी के चलते सोमवार को किश्त थी, लेकिन मनोज राव शर्मा किश्त देने नही आया, जब फोन से बात की तो उसने बताया कि घर पर आकर ले लेना, आप जमा कर दो। जिसके चलते वह अपने पति सचिन राजपूत के साथ मनोज राव शर्मा के घर चौधरी मैरिज गार्डन के पास पैसे लेने गए थे।

जहां पैसे को लेकर विवाद हुआ। इसी दौरान मनोज ने पीछे से सचिन पर चाकुओं से हमला कर दिया। वहीं बीच बचाव के दौरान सचिन की पत्नी आर्शी को भी चाकू मार दिये।  घटना के बाद आरोपी अपने परिवार सहित फरार है। इस पूरे मामले को लेकर लोगों में इस बात को लेकर आक्रोश है कि घटना के काफी देर  बाद पुलिस मौके पर पहुंची


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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