पटवारी की खुली पोल, धड़ल्ले से कर रहा था किसानों से लूट

Gaurav Sharma
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अशोकनगर, स्वदेश शर्मा। देश और प्रदेश में किसान बिल और किसान प्रदर्शन का मुद्दा सुर्खियों में हैं। प्रधानमंत्री से लेकर अब मुख्यमंत्री द्वारा किसानों को सम्मान निधि दी जा रही है, लेकिन इनकी मंशा पर इनके ही विभाग के जमीनी स्तर के कर्मचारी किस तरह किसानों के साथ लूट कर रहे हैं इसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि अशोकनगर जिले के मुंगावली ब्लॉक के हल्का सेहराई के पटवारी राम किंकर द्वारा किसानों से धड़ल्ले से लूट की जा रही है और नियमों को तांक पर रखकर किसानों से पैसों की अवैध बसूली कराई जा रही है।

 

दरअसल, देखा जाए तो सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा किसानों को जो चार हजार रुपये सम्मान निधि देने की घोषणा की गई है, इसके फार्म भरे जा रहे हैं। इन्ही फार्म को जमा करने में पटवारी राम किंकर द्वारा अपने ऑफिस में गांव के एक लड़के को बैठाकर किसानों से पैसों की वसूली कराई जा रही है और जो पैसे लेते कैमरे में भी कैद हुआ है। पटवारी एक ओर जहां किसानों से लूट कर रहा है तो अधिकारियों के आदेश उसके लिए मायने नहीं रखते। तहसीलदार के कहने के बाद भी पटवारी हल्का मुख्यालय पर नहीं बैठा औऱ इसी युवक को सेहराई भेजकर कार्य करवा रहा है और किसानों से पैसों की उघाई करता कैमरे में कैद हुआ है । इस तरह यही कहा जायेगा कि इस पटवारी को अधिकारियों के निर्देश भी कोई मायने नही रखते और यह सीएम शिवराज के द्वारा किसानों को दी जा रही सम्मान निधि में भी घूसखोरी कर रहा है। अब देखना होगा कि जिम्मेदार अधिकारी इस पटवारी पर कठोर कार्रवाई करते है या फिर यह पटवारी अपने पद का रौब जताते हुए ऐसे ही किसानों के साथ लूट करवाता रहेगा ।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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