बालाघाट। सुनील कोरे| Balaghat News 25 मई को पूरे जिले में ईद उल फितर (Eid–ul–Fitr ) का पर्व खुशी और सादगी के साथ मनाया गया। प्रशासनिक निर्देशों के तहत निर्धारित व्यक्तियों द्वारा मस्जिदो में ईद की विशेष नमाज सुबह अलग-अलग समय पर अदा की गई। जिसके बाद सभी मुस्लिम धर्मावलंबियों ने अपने-अपने घरो में नमाज अदा की। ईद की विशेष नमाज में मुस्लिम धर्मावलंबियों ने देश में फैले कोरोना बीमारी के जल्द खत्म होने और देश में अमन, शांति कायम होने की दुआयें की। नमाज के बाद सभी ने एकदूसरे को सलाम, दुआ के माध्यम से ईद की मुबारकबाद दी।
ईद पर बालाघाट मुस्लिम धर्मावलंबियों ने मुस्लिम धर्मगुरूओं और प्रशासनिक निर्देशो का अक्षरशः पालन कर ईद का पर्व पूरी सादगी से मनाया। इस दौरान मुस्लिम धर्मावलंबियों ने ईद की बधाई के दौरान पूरी तरह से फिजिकल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए एकदूसरे को अपने दोस्तो, रिश्तेदारों को मोबाईल और वाट्सअप के माध्यम से बधाई दी।
घर नहीं पहुंचे तो घरों तक पहुंचाई गई मीठी सेवाईयां
हमेशा ईद पर्व पर यह देखा जाता था कि ईद की विशेष नमाज के बाद मुस्लिम धर्मावलंबियों के रिश्तेदार और उनके दोस्त-अहबाब घरो में पहुंचकर, गले मिलकर मुबारकबाद देते थे और मुस्लिम धर्मावलंबी, उनके लिए मीठी सेवई, शीर खुरमा एवं मेवो से उनका मुंह मीठा करवाते थे। लेकिन इस वर्ष कोविड-19 महामारी ओर लॉकडाउन के कारण रिश्तेदारों और दोस्त-अहबाब ने वाट्असप और मोबाईल के माध्यम से ईद की बधाई दी तो मुस्लिम धर्मावलंबियों ने ईद की परंपरा निभाते हुए उनके घरो तक सेवई, शीर खुरमा और मेवे पहुंचाकर, उनका मुंह मीठा करवाया।
नहीं चला ईदी का दौर
माहे रमजान के बाद मनाये जाने वाले ईद के त्यौहार में हमेशा, बड़े छोटो को ईदी के रूप में उनकी पसंदीदा चिज देते है, इसी के चलते अधिकांश बच्चे माहे रमजान के रोजे रखने की कोशिश भी करते है, ताकि उन्हें ईद पर, ईदी के रूप में मनचाहा उपहार मिल सके, लेकिन इस वर्ष कोविड-19 के कारण रिश्तेदार और दोस्त-अहबाब के घर नहीं आने के कारण बच्चों को ईदी के रूप में मनचाहा उपहार नहीं मिल सका। उन्हें केवल परिवार से ही ईदी के रूप में जो उपहार मिला, उसे बच्चों ने खुशी-खुशी मंजूर कर लिया।
नहीं दिखी इस साल ईद की रौनक
इस वर्ष माहे रमजान में अरसों बाद, रोजदारों को पूरे 30 रोजे रखने का अवसर मिला था, बावजूद इसके ईद की रौनक इस बार नदारद रही। गौरतलब हो कि प्रतिवर्ष ईद की विशेष नमाज ईदगाह में सार्वजनिक रूप से पढ़ी जाती थी, लेकिन इस वर्ष कोविड-19 महामारी और लॉक डाउन के चलते ईद की विशेष नमाज शासन, प्रशासन के निर्देशानुसार मस्जिदो में निर्धारित संख्या मंे अदा की गई, वहीं सभी मुस्लिम धर्मावलंबियो ने मस्जिद में ईद की नमाज खत्म होने के बाद अपने-अपने घरो में ईद की नमाज अदा की। प्रतिवर्ष ईद पर्व पर खासी रौनक मुस्लिम धर्मस्थलो, मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रो और बाजारों में देखी जाती थी। जगह-जगह ईद पर्व पर सेहरी एवं अफ्तारी के आयोजन होते थे और नगर में सेवाईयों, कपड़ो और विशेष प्रकार की टोपियों की दुकाने सजी रहती थी, लेकिन इस वर्ष ईद पर्व पर यह सभी रौनक नदारद रही। लोगों ने माहे रमजान के पूरे रोजे, पूरी तराबी, सेहरी एवं अफ्तारी के आयोजन घरो में ही रहकर किये। जिसकी वजह कोविड-19 महामारी से जूझ रहे देश के हालत है। इस दौरान कोविड-19 से जहां लाखों लोग बीमार है वहीं हजारो लोगों ने अपनी जान गंवा दी है। जिसके कारण इस वर्ष मुस्लिम धर्मगुरूओं की अपील पर मुस्लिम धर्मावलंबी, सादगी से ईद का पर्व मनाया। साथ ही मुस्लिम धर्मावलंबियों ने यह निर्णय लिया था कि इस वर्ष ईद पर कोई खरीदी न कर, वह इन पैसो से गरीबो, यातिमो और बेसहारों की सेवा करेंगे। इस बार ईद पर्व पर सभी मुस्लिम धर्मावलंबियों ने एकदूसरे के गले मिलकर बधाई देकर कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए सुझाई सावधानी का पालन करते हुए सलाम, दुआ और जुबानी मुबारबाद के माध्यम से एकदूसरे को ईद की बधाई दे और सोशल डिस्टेसिंग का पूर्णतः पालन कर, मुस्लिम धर्मगुरूओं तथा शासन, प्रशासन के निर्देशों का पालन किया|