Balaghat News : बालाघाट जिले के परसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के लोगों का दुर्भाग्य कहे या विडंबना, हालत ऐसे हो गये है कि राज्यमंत्री रामकिशोर कावरे के क्षेत्र में मरीज को खाट पर रखकर नदी पार कराना पड़ रहा है। परसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के घंघरिया अंतर्गत मनकुंवर नदी पर पुल नहीं होने से इससे जुड़े ग्रामो के लोगो को आवागमन के साथ ही आकस्मिक परिस्थिति में कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, यह बयां करती है, मरीज को खाट पर परिजनों द्वारा घर ले जाने की घटना।
यह है मामला
बालाघाट के निजी अस्पताल में उपचार के बाद मरीज की छुट्टी कराकर मरीज को परिजन एम्बुलेंस से लेकर घर के लिए निकले थे, लेकिन मनकुंवर नदी पर पुल के क्षतिग्रस्त होकर टूटने और साल भर बाद भी पुल नहीं बनने से परिजन, खाट के सहारे मरीज को लेकर घर गये। जिस घटना ने शासन, प्रशासन के विकास के दावो की पोल खोल दी। इसे विडंबना कहे या दुर्भाग्य, लेकिन विकास के दावों के बीच इस घटना ने जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली पर सवाल जरूर खड़े कर दिये है। विकास के दावों के बीच यह घटना, दावों के खोखली सच्चाई का आईना दिखा रही है। यह तस्वीर बयां करती है कि हालात कितने खराब है, वहीं कुछ लोगों ने मनकुंवर नदी से बहते पानी के बीच जान जोखिम में डालकर भी मरीज के परिजनों की मदद कर जता दिया कि मानवता अभी जिंदा है।
एम्बुलेंस में मरीज को लेकर गये एम्बुलेंस चालक जावेद भाई ने बताया कि मरीज को निदान हॉस्पिटल से छुट्टी कराकर परिजन एम्बुलेंस से घर ले जा रहे थे। घटना 18 जुलाई की है, बालाघाट-नैनपुर राज्यमार्ग मार्ग पर पढ़ने वाली मनकुंवर नदी के डायवर्सन पुल टूटने से गांवो के बीच संपर्क टूट गया है, जिसके कारण आवागमन को लेकर लोगों को बड़ी परेशानी हो रही है, खासकर आकस्मिक स्थिति में तो लोग जान का जोखिम उठाकर नदी पार करने मजबूर है, पूर्व दिनो में भी बहती जलधारा के बीच लोगों के यहां से एकदूसरे का हाथ पकड़कर नदी पार करने का वीडियो सामने आया था। जिसके बाद प्रशासन ने नदी में पानी होने पर पार करने को लेकर रोक लगाय जाने की बात कही थी लेकिन वह हो ना सका।
बताया जा रहा है कि एक सप्ताह पूर्व में दो मोटर सायकिल की भिडंत में घंघरिया निवासी युवक राजु नगपूरे घायल हो गया था। जिसके निजी अस्पताल में उपचार के पश्चात छुट्टी पर परिजन उसे एंबुलेंस से लेकर घर के लिए निकले थे। रास्ते में मनकुंवर नदी पर पुल नहीं होने से एम्बुलेंस मरीज को किनारे पर छोड़कर चली गई। जिसके बाद मरीज को घर तक ले जाने के लिए परिजनों की मदद के लिए आगे आये मददगारों ने खाट पर युवक को लिटाया और खाट को कंधे पर रखकर नदी में बह रहे पानी को पार कर मरीज को घर पहुंचाया।
गौरतलब है कि मनकुंवर नदी पर बने अंग्रेजी शासनकाल का पुल, बीते 2022 में अतिवृष्टि के कारण बह गया था। जिसके बाद इस पुल निर्माण को लेकर आवाज उठने पर जनता के दबाव में क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन द्वारा पुल स्वीकृत कराया गया। जिसका निर्माण एक साल में हो जाना चाहिये था लेकिन ठेकेदार ने कोई काम नहीं किया। जिसके द्वारा पुल बनाने के लिए बनाये गये डायवर्सन पुलिया भी दो बार बह गया। जिससे यह मार्ग पूरी तरह से अवरूद्ध हो गया है। प्रशासन ने भी बरसात में किसी भी प्रकार के काम या वैकल्पिक व्यवस्था के लिए हाथ खड़े कर दिये है। जबकि क्षेत्रीय विकास का दावा करने वाले आयुष मंत्री ने अब तक यहां नहीं पहुंच सके है। नदी पर पुलिया नहीं होने से लोगों को रोजाना ही परेशान होना पड़ रहा है और जिस तरह से जनप्रतिनिधि और प्रशासन का रवैया दिखाई दे रहा है, उससे लगता है कि पूरी बरसात तक इस मार्ग पर लोगो को आवागमन के लिए परेशान होना पड़ेगा।
बालाघाट से सुनील कोरे की रिपोर्ट