इस जिले में कोरोना का तांडव जारी, संक्रमितों की संख्या 800 पार

भारत

बालाघाट, सुनील कोरे। जिले में कोरोना अब जानलेवा हो गया है, अब जरूरत है कि लोग कोरोना महामारी को गंभीरता से लेकर उसके बचाव के लिए बताये गये नियमों का पालन करें। जिले में रफ्तार से कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ते जा रही है। जिले में 21 सितंबर की रात सामने आये 42 मरीजों को मिलाकर संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 8 सौ के पार हो गई है। बीते 24 घंटे में जहां 88 नये मरीज सामने आये है, वहीं 3 मरीजों की मौत हो गई है। जिसमें लांजी निवासी 70 वर्षीय वृद्ध, लालबर्रा के बहियाटिकुर निवासी 65 वर्षीय और बैहर क्षेत्र निवासी 67 वर्षीय एक महिला है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि मृतकों को सांस की समस्या ज्यादा थी।

मिली जानकारी अनुसार लांजी निवासी 70 वर्षीय पुरूष को बीते 21 सितंबर की रात मुख्यालय के कोविड हॉस्पिटल लाया जा रहा था। इस दौरान ही उसकी मौत हो गई। जबकि 22 सितंबर को गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज छिंदवाड़ा भिजवाये गये लालबर्रा के बहियाटिकुर और बैहर क्षेत्र निवासी दो मरीजों की मौत रास्ते में सिवनी के पास मौत हो गई। कोरोना प्रोटोकॉल नियमों के तहत 21 सितंबर की रात कोविड अस्पताल लाते समय मृत हुए पॉजिटिव वृद्ध का 22 सितंबर की सुबह जागपुर घाट स्थित मोक्षधाम में अंतिम संस्कार किया गया। जबकि 22 सितंबर को मेडिकल कॉलेज ले जाते समय हुई दो मरीजों की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार, समाचार लिखे जाने तक नहीं हो सका था।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।