Fri, Dec 26, 2025

महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर कोटेश्वर धाम में उमड़ी भक्तों की भीड़, जानिए क्यों खास है ये मंदिर

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर कोटेश्वर धाम में उमड़ी भक्तों की भीड़, जानिए क्यों खास है ये मंदिर

Balaghat News : देवो के देव महादेव का पूजन सावन मास और महाशिवरात्रि पर विशेष माना जाता है। जिसमें सबसे ज्यादा खास महाशिवरात्रि का होता है। इस दिन परमपिता परमेश्वर भगवान शिव और आदिशक्ति माता पार्वती का मिलन होता है। महाशिवरात्रि पर शिवभक्त दिनभर व्रत रखते हुए शिव मंदिरों में शिवलिंग पर भगवान शिव की प्रिय चीजें भांग, धतूरा, बेलपत्र, शमीपत्र, गंगाजल और दूध-दही अर्पित करते हैं। पौराणिक मान्यता यह है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था और भोलेनाथ ने वैराग्य जीवन त्यागकर गृहस्थ जीवन अपनाया था। वहीं, अर्द्धनारेश्वर बनने के बाद भगवान महादेव के इस पर्व पर देवालयों की अपनी गाथा है।  जिसमें बालाघाट जिले के लांजी स्थित कोटेश्वर धाम भी एक है।

भक्तों की उमड़ी भीड़

महाशिवरात्रि पर यानि आज बाबा कोटेश्वर धाम में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है। बाबा कोटेश्वर के दर्शन करने शिवभक्त कतारों से पहुंच रहे हैं और बाबा के दर्शन कर मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद मांग रहे हैं। वहीं, इस शुभ अवसर पर मेले का भी आयोजन किया जाता है जो कि करीब एक सप्ताह तक चलता है। जिसमें दूर-दराज के व्यापारी यहां आते हैं। जिसमें जिलेभर के लोग आते हैं।

मंदिर का इतिहास

दरअसल, यह मंदिर अपने आप में बहुत अलग है क्योंकि यह मंदिर श्मशान स्थल पर होने के साथ- साथ नरसिंह मंदिर भी है। यह शिवधाम पूजन और तंत्र- साधना के साधकों के लिए भी खास स्थल है। ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर 18 सौ ई. में अस्तित्व में आया था। जिसे निर्माण साल 1902 में तत्कालीन तहसीलदार रामप्रसाद दुबे की निगरानी में किया गया। यहां हर साल सावन और महाशिवरात्रि पर खासी भीड़ होती है। यह मंदिर अपनी कल्चुरी कालीन कलाकृतियों के लिए प्रसिद्ध है जो कि इसके इतिहास को बयां करती है।

जानिए आखिर क्यों खास है ये मंदिर

  • तंत्र-मंत्र साधना का खास स्थल
  • कल्चुरी कालीन कलाकृतियों के लिए प्रसिद्ध
  • पुरातात्विक धरोहर के रूप में 108 उपलिंगों में शामिल

बालाघाट से सुनील कोरे की रिपोर्ट