बालाघाट, सुनील कोरे। लॉकडाउन के बाद मुंबई में मोटर सायकिल कंपनी में काम करने वाला उकवा निवासी युवक दीपक पिता मड़गुलाल वाघाड़े अपने घर आया था। 2 नवंबर की रात वह घर में था, इस दौरान उकवा निवासी चार युवक किशोर, मनोज, पंकज ओर अमित उसके घर आये और दीपक पर मोबाइल चोरी का आरोप लगाकर उससे झगड़ा करने लगे। जब दीपक ने मोबाइल चुराने से मना किया तो आरोपी किशोर ने साथ लाए डंडे से उस पर हमला कर दिया, जबकि उसके अन्य साथी दीपक को लात-घूंसो से मारने लगे। बीच-बचाव करने आई दीपक की मां सकुनबाई को आरोपियों ने धक्का दे दिया जिससे वह गिर गई। चारो युवकों द्वारा डंडे और लात, घूंसो से मारपीट किये जाने से दीपक के नाक, बाए कान और बांए पैर से खून निकलने लगा और वह बेहोश हो गया। जब परिजन उसे लेकर उकवा अस्पताल पहुंचे तो चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया।
इस मामले में मृतक दीपक की मां सकुनबाई की रिपोर्ट पर उकवा पुलिस ने आरोपी किशोर, मनोज, पंकज और अमित के खिलाफ धारा 302, 34 का मामला कायम कर जांच में लिया है। हत्या जैसी घटना की गंभीरता को देखते हुए तत्काल ही मामले को वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाकर उकवा चौकी प्रभारी पंकज तिवारी और हमराह स्टॉफ ने आरोपियों की धरपकड़ के लिए दबिश दी और घटना के कुछ घंटे बाद ही चारों आरोपी उकवा निवासी 43 वर्षीय किशोर पिता नेमीचंद बोम्परे, 23 वर्षीय मनोज पिता स्व. सुखचंद उईके, 22 वर्षीय अमित पिता आनंद गोंदरे और 30 वर्षीय पंकज पिता स्व. मंगलसिंह गौतम को गिरफ्तार किया। इन्हें 3 नवंबर को पुलिस ने न्यायालय में पेश किया। जहां से उन्हें न्यायिक रिमांड पर उपजेल भिजवा दिया गया है।
हत्या के चंद घंटे बाद ही आरोपियों को गिरफ्तार करने में वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन और निर्देशन में निरीक्षक अरूण कुमार मर्सकोले, चौकी प्रभारी उपनिरीक्षक पंकज तिवारी, उपनिरीक्षक सरविंद धुर्वे, एएसआई दुर्गाप्रसाद भगत, प्रधान आरक्षक सतरंजन साकरे, आरक्षक विनोद परते, अभिलाष लोधी, सतेन्द्र गुर्जर, लक्ष्मण पटेल, आशीष पांडेय, संजय वरकड़े, नेमी राजपूत, राजेश केवट, मोनु झारिया, अजय मरकाम, धरमसिंह मर्सकोले और दिनेश धानेश्वर की भूमिका सराहनीय रही।
इस मामले में आदिवासी गोवारी समाज जिलाध्यक्ष महेश सहारे ने समाज के मृतक दीपक के प्रति शोक संवेदना जाहिर करते हुए मामले में आरोपियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही किये जाने और मृतक दीपक के परिवार को मुआवजा दिये जाने की मांग की है, उन्होंने कहा कि बेकसूर दीपक की आरोपियों द्वारा झूठा आरोप लगाकर हत्या कर दी गई। जिससे मां, पत्नी और बच्चों से उनका आसरा छिन गया।
इनका कहना है
मोबाईल चोरी को लेकर आरोपियों और दीपक के बीच विवाद हुआ था। जिसमें आरोपियों के हमले से दीपक की मौत हो गई थी। जिसमें हत्या का मामला कायम कर विवेचना में लिया गया था। घटना के बाद से आरोपियों की तलाश की जा रही थी, जिन्हें वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन और निर्देशन में घटना के कुछ समय बाद ही गिरफ्तार कर लिया गया। जिन्हें न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भिजवा दिया गया है।
प्रशांत तिवारी, उपनिरीक्षक