बैतूल, वाजिद खान। मध्य प्रदेश के बैतूल (betul) में कई गांव ऐसे है जहां जीरो वैक्सीनेशन (vaccination) का आलम है। यहां प्रशासन (administration) ने इन आदिवासी गांव में वैक्सीन लगवाने के लिए आदिवासी समाज के धर्मगुरु जिन्हें भगत भूमका कहते है जो झाड़ फूंक का काम करते है उनका सहारा लिया है और उनसे अपील करवाकर आदिवासियों को जागरूक (aware) किया जा रहा है।
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देश में वैक्सीनेशन को लेकर जागरूकता के लिए तमाम इंतजामात किए जा रहे हैं इसके बावजूद भी मध्य प्रदेश का बैतूल जिला आदिवासी बाहुल्य इलाका है। ऐसे में कई गांव है जहां एक भी व्यक्ति ने वैक्सीन नहीं लगवाई थी। यहां हाल ये है कि आदिवासी वैक्सीन लगाने वाले स्वास्थ्य कर्मियों से लड़ने झगड़ने को तैयार हो जाते है। महिलाएं तो गाली गलौज पर उतारू हो जाती है। इन आदिवासियों में भ्रम फैल गया है कि वैक्सीन लगाने से मौत हो जाती है।
अब इन गांवों में वैक्सीनेशन के लिए आदिवासी समुदाय के जो धर्मगुरु है जिन्हें भगत भूमका कहते हैं और आदिवासी इन पर भरोसा करते हैं और जब भी उनके बीच मे कोई बीमार होता है तो आदिवासी समुदाय के लोग अपने क्षेत्र के भगत भूमिका के पास जाते हैं और झाड़-फूंक करवाते हैं। प्रशासन ने इन भगत भुमकाओं का सहारा लिया है उनसे बात की है कि जो भी लोग उनके पास आ रहे हैं उन्हें वैक्सीनेशन की सलाह दी जाए ।
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प्रशासन के प्रयास पर अमल भी शुरू हो गया है और आदिवासी इलाके के जो गांव है वहां के भगत भुमका उनके पास आने वाले लोगों को झाड़-फूंक के साथ साथ टीका लगवाने और मास्क लगाने की भी सलाह दे रहे हैं इनका कहना है कि उन्होंने भी वैक्सीन लगवा ली है और अब ग्रामीणों को भी सलाह दे रहे हैं । ताकि कोरोना जैसी विकट महामारी से लड़ने के लिए अपने आप को तैयार किया जा सके साथ ही मास्क का उपयोग और 2 गज की दूरी बनाकर रखने की भी सलाह दे रहे है ये भगत भुमका ।
वाजिद खान………..बैतूल