बैतूल, वाजिद खान। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Former CM Kamalnath) द्वारा भाजपा प्रत्याशी इमरती देवी (Imarti Devi) के लिए अपशब्दों का प्रयोग किया गया जिसके विरोध में बैतूल (betul) में भाजपा (BJP) ने शिवाजी चौक पर 1 घंटे तक मौन धारण (Silence holding) कर धरना प्रदर्शन किया। महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं ने कमलनाथ (kamalnath) की तस्वीर पर कालिख पोत कर आक्रोश जताया है। बैतूल में ही नहीं पूरे प्रदेश में भाजपा द्वारा कमलनाथ द्वारा महिला को लेकर की गई विवादित टिप्पणी पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।
भाजपा जिला अध्यक्ष बबला शुक्ला ने मीडिया से चर्चा में कहा कि कांग्रेसियों ने हमेशा ही महिलाओं का अपमान किया है। महिलाओं के अपमान का जवाब प्रदेश की जनता देगी। इसके पहले भी कांग्रेसियों ने महिलाओं का अपमान में कई बार अपशब्दों का प्रयोग किया है, जो बेहद निंदनीय है। उल्लेखनीय है उपचुनाव के प्रचार के दौरान खुले मंच से कमलनाथ ने भाजपा प्रत्याशी इमरती देवी के लिए अपशब्दों का प्रयोग किया गया। जिसका भाजपा द्वारा विरोध किया जा रहा है।
वहीं पूरे मामले में महिला बाल विकास मंत्री और डबरा से बीजेपी प्रत्याशी इमरती देवी का कहना है कि पूर्व सीएम कमलनाथ बंगाली है, महिलाओं का सम्मान क्या होता है वो क्या जाने। नवरात्रि में महिलाओं का जिस तरह से सम्मान किया जाता है, उसे कमलनाथ जानते नहीं है शायद। आगे इमरती देवी ने कहा कि कमलनाथ जब से मुख्यमंत्री पद से हटे है तब से ही पागल हो गए है। वहीं कुछ भी अनाप-शनाप बक रहे है। कमलनाथ द्वारा मुझ पर की गई टिप्पणी का जवाब तो जनता ही देगी
About Author
Gaurav Sharma
पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।
इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।