भिंड, सचिन शर्मा। भिंड (bhind) में बाढ़ (MP Flood) के बाद हालत धीरे धीरे सामान्य होते जा रहे हैं। सरकार और प्रशासन भी मदद के नाम पर सर्वे करा रही है। लेकिन रौन जनपद के बाढ़ प्रभावित ग्रामीण इस सर्वे में सचिव की अनियमितताओं और मनमानी के चलते अपने को मिलने वाले लाभ से वंचित होते नज़र आ रहे हैं। यही वजह की अपने साथ हो रही नाइंसाफ़ी को लेकर ग्रामीण धरने पर बैठे हुए हैं।
मामला भिंड जिले की रौन तहसील के ग्राम पिढौरा का है। जहाँ विगत कुछ दिनों पूर्व गाँव मे आयी अप्रत्याशित बाढ ने पूरे गाँव को डुबो दिया था। बाढ ने पूरे गाँव के लोगों को ऐसा दर्द दिया कि ग्रामीण जन जीवन भर इस दर्द को भुला नहीं पाएंगे। ऐसे मे पूरा गाँव सिर्फ शासन प्रसाशन के रहमो करम पर है। यहाँ बताना मुनासिब होगा कि बीती 4 अगस्त को भिंड से गुजरी सिंध नदी और चम्बल में भीषण बाढ़ आयी थी। जिसमें ज़िले की 67 पंचायतें बाढ़ की चपेट में थी और सबसे ज़्यादा नुक़सान सिंध नदी के किनारे बसे गाँव में हुआ था। सैकड़ों परिवार पूरी तरह तबाह हो गए, ग़नीमत रही की इस बाढ़ में कोई जनहानि नही हुई।
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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रशासन द्वारा प्रसाशनिक अमलों की टीम गठित कर बाढ पीडि़तों को रहने खाने और मुआवजा राशि के आवंटन की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूर्ण करने के निर्देश दिये गये। मगर घरातल पर प्रक्रिया शून्य नजर आती है। ग्रामीण बाढ मे डूबे अनाज को सुखा सुखा कर खाने को मजबूर है। यह नजारा स्वयं ओपीएस भदौरिया के अनशन स्थल पर दिखाई दे रहा था। मगर प्रशासन इस पर मूकदर्शक बना देख रहा था।
ग्रामीण जन शासन द्वारा भौतिक परीक्षण कर अपनी जांच रिपोर्ट के उपरांत मिलने वाली राशि का बेसब्री से इंतजार कर रहे है। मगर ग्रामीण जन की बंधी आसान उस समय टूट गयी। जब पंचायत सचिव द्वारा घर पर बैठ कर मनगढंत अपनी रिपोर्ट बना कर जिला पंचायत को सौप दी गयी। जिसकी जानकारी ग्रामीण जनो को पंचायत पर चस्पा सूची से प्राप्त हुई। जब आशा से प्रतीक्षा करते ग्रामीण जनो द्वारा अपने अपने नाम बाढ़ग्रस्त पीड़ित सूची मे नही देखा तो ग्रामीण जन आग बबूला हो गये और पंचायत सचिव के इस्तीफे की मांग के साथ हाईस्कूल पिढौरा मे अनशन पर बैठ गये।
अनशन पर बैठे ग्रामीण को देख प्रसाशन के हाथ पैर फूल गये और प्रसाशन हरकत में आया। इसी बीच ग्राम पीढौरा मे ग्रामीण जन द्वारा बैठे अनशन के लोगों की खबर मेहगांव विधायक और राज्य मंत्री ओपीएस भदौरिया को लगी तो वह पूरे प्रशासनिक अमले के साथ ग्राम पिढौरा पंहुचे। जहाँ की स्थिति देखकर और सर्वेक्षण कार्य देखकर उन्होंने अंसतोष और तुरंत उन्होंने दुबारा से ग्रामीण जनो की मांग पर सर्वेक्षण के आदेश दिये।