दरअसल भिण्ड जिले के मेहगांव में पदस्थ एसडीओपी आरकेएस राठौर ने वैक्सीनेशन के दोनों डोज लगवा लिए हैं। वैक्सीन लगने के 38 दिन बाद एसडीओपी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। यही नहीं सीटी स्कैन रिपोर्ट में भी एसडीओपी के फेफड़ों में माइल्ड इंफेक्शन की बात निकल कर सामने आई है। वहीं मेहगांव निवासी घनश्याम त्यागी ने 11 अप्रैल को टीकाकरण कराया था, जो पॉजिटिव पाए गए हैं। जिसके बाद लोग परेशान हैं और उनका कहीं न कहीं कोरोना वैक्सीन के प्रभाव प्रति अविश्वास जैसी स्तिथी बनने लगी है। बता दें कि वैक्सीन का एक डोज लगने के बाद संक्रमण की चपेट में आये 84 वर्षीय वयोवृद्ध पत्रकार सत्यनारायन शर्मा कोरोना को हराकर स्वस्थ्य होकर घर पहुंच गए है।
वैक्सीन क्यों है जरूरी?
वैक्सीन से कतराने वाले लोगों का कहना है कि जब इसको लगवाने पर भी लोग संकमित हो रहे हैं तो इसका फिर क्या फायदा है। इस सवाल का बेहद सीधा सा जवाब है कि कोरोना वैक्सीन न लगवाने वाले गंभीर संक्रमण के शिकार हो सकते हैं, जबकि वैक्सीन लेने वाले इस तरह के गंभीर संक्रमण से बच सकते हैं। वैक्सीन से इस संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सकता है। कोई भी वैक्सीन इस वायरस पर सौ फीसद कारगर नहीं है।
भिण्ड में कोरोना की स्थिति
भिण्ड में सोमवार को मेहगांव एसडीओपी राठौर व एक न्यायाधीश सहित जिले में 29 नए कोरोना संक्रमित मिले है। जिले में संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 1893 पर पहुंच गई है, एक्टिव केस की संख्या 213 है। सोमवार को 33 कोरोना संक्रमित स्वस्थ्य होकर डिस्चार्ज कर दिए गए है। जिले में भर्ती को रद्द करवाने के कारण 26 अप्रैल की सुबह 6 बजे तक कोरोना कर्फ्यू लगाया गया है।