Bhind News: बांधों से छोड़ा जाएगा पानी! चंबल-सिंध नदी किनारे गांवों में अलर्ट जारी

Pooja Khodani
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भिण्ड, गणेश भारद्वाज । मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में झमाझम बारिश (Heavy Rain) के चलते नदी-नाले उफान पर आ गए है और कई हिस्सों में तो बाढ़ जैसे हालात बन गए है, हालांकि शासन-प्रशासन (MP Government) एक्टिव मोड में आ गए है और मोर्चा संभाल लिया है वही भिंड जिले (Bhind District) में मडीखेरा बांध, ककेटा बांध एवं कोटा बैराज बांध से पानी छोड़ा जाने की संभावना को देखते हुए अलर्ट जारी किया गया है।

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भिण्ड जिला प्रशासन के जनसम्पर्क विभाग(Public Relations Department of Bhind District Administration)  ने जानकारी देते हुए बताया कि मडीखेरा बांध, ककेटा बांध एवं कोटा बैराज बांध से पानी छोड़ा जा सकता है, जिससे सिंध नदी एवं चंबल नदी व इनकी सहायक नदियों में जल स्तर बढ़ेगा । फलस्वरूप राहत एवं सुरक्षा बचाव की दृष्टि से सिंध नदी एवं चंबल और इनकी सहायक नदियों के किनारे के आसपास के गांवों में अलर्ट की सूचना की जाना आवश्यक है

इसके तहत समस्त तहसीलदार एवं सीईओ (Bhind CEO) जनपद उपरोक्त स्थिति को दृष्टिगत रखते हुये सिंध व चंबल नदी व इनकी सहायक नदियों के आसपास के गांवों में सूचना किये जाने तथा अलर्ट किया जाना सुनिश्चित करें तथा स्वयं भी उक्त स्थिति पर सतत निगरानी रखें तथा समय-समय पर उच्च अधिकारियों को भी अवगत करायें।

जिले की नदियों में हर साल बनते हैं बाढ़ के हालात

वैसे तो देश का एकमात्र भिंड जिला ऐसा जिला है जिस की धरा पर एक दो नहीं बल्कि 9 नदियां बहती हैं इनमें से तीन प्रमुख नदियां हैं जिनमें चंबल सिंध व क्वारी शामिल है, इसके अलावा, वेसली, आसन, झिलमिल, जैसी छोटी नदिया भी बरसात में कभी कभी रौद्र रूप दिखा देती हैं। 90 के दशक में तो वैशाली नदी में ऐसी बाढ़ आई थी की शासन को वायु सेना का उपयोग बाढ़ राहत कार्यों में करना पड़ा था।

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इसके अलावा गत वर्ष चंबल नदी से अटेर के करीब 1 दर्जन से अधिक गांव प्रभावित हुए थे जिसमें राहत कार्य चलाने के लिए NDRF को भी मैदान में उतरना पड़ा था। इस बार तू की बरसात अधिक हो रही है इसलिए जिले की छोटी नदियों में भी जिला प्रशासन के द्वारा अलर्ट किया गया है वही चंबल और सिंध नदी में भी बड़े बांधों के द्वारा पानी छोड़ा जा सकता है जिससे जिले में बाढ़ के हालात बन सकते हैं। इसके लिए जिला प्रशासन ने अपने पूरे अमले को अलर्ट मोड पर कर दिया है और बाढ़ आने वाले संभावित गांव में मुनादी भी कराई गई है।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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