अनीता शर्मा रैगिंग केस पर भोपाल कोर्ट ने सुनाया फैसला, आरोपियों को 5 की साल की कैद

Gaurav Sharma
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पदोन्नति

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कॉलेज लाइफ (College Life) हर किसी के जीवन का खास फ़ज़े होती है। स्कूल के बाद कॉलेज जाने के लिए हर कोई उत्साहित होता है। पर एक चीज है जो कॉलेज लाइफ (College Life) में ग्रहण लगाने का काम करती है और वो है रैगिंग (Ragging) । रैगिंग (Ragging) के नाम से हर कोई डर जाता है। कॉलेजों में एंटी रैगिंग (Anti-Ragging) सेल भी बनाए जाते है पर फिर भी रैगिंग के मामले कम नहीं हो रहे है। वहीं साल 2013 में रैगिंग का शिकार हुई बीफर्मा (B.Pharma) की छात्रा अनीता शर्मा ने मौत को गले लगा लिया था। जिसपर सुनवाई करते हुए आरोपियों को आज सजा सुना दी गई है।

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अनीता को रैगिंग (Ragging) के नाम से प्रताड़ित करने वाले आरोपियों पर आज भोपाल कोर्ट (Bhopal Court) ने फैसला सुनाते हुए 4 आरोपियों को 5-5 साल की सजा सुनाई है। साथ ही उन पर 2-2 हजार का जुर्माना भी लगाया है। अनीता शर्मा रैगिंग केस की सुनवाई एडीशनल सेशन जज अमित रंजन द्वारा की गई। जिन्होंने आरोपियों पर सजा के साथ 2 हजार का जुर्माना लगाया है। वहीं केस में एक आरोपी के निर्दोष पाए जाने पर उसे बरी कर दिया गया है। जज ने देवासी शर्मा, कृति गौर,  दीप्ति सोलंकी, निधि मगरे को आरोपी मानते हुए पांच साल की सजा सुनाई है।

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दरअसल साल 2013 में भोपाल के आरकेडीएफ कॉलेज (RKDF College) में पढ़ने वाली बीफार्मा (B.Pharma) की छात्रा अनीता शर्मा ने रैगिंग (Ragging) से परेशान होकर अत्महत्या (Suicide) कर ली थी। मृतिका द्वारा रैगिंग का दर्द फेसबुक पर बयां किया गया था। अनीता शर्मा ने अपना फेसबुक अकाउंट अलीना के नाम से बनाया था। अपने फेसबुक फ्रेंड से मृतिका अनीता द्वारा रैगिंग का दर्द साझा किया गया था। अनीता ने अपने दोस्त से चैट करते हुए कहा था कि ‘सीनियर्स से फालतू का पंगा लेने का कोई मतलब नहीं है। मैं तो अपने किसी जूनियर को तंग नहीं करूंगी।’

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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