ज्ञानवापी पर आए वाराणसी कोर्ट के फैसले को उमा भारती ने बताया सुखद, काशी और मथुरा पर बोलीं “इन्हें हिंदुओं को सौंप दीजिए”

उमा ने वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के फैसले का जिक्र कर यह लिखा ‘मेरा अनुरोध है कि अयोध्या की तरह काशी और मथुरा में भी मूल स्थान पर मंदिर बनाया जाए और पूजा का अधिकार मिले’। उमा ने अपने इस पोस्ट में आखिर में काशी और मथुरा को हिंदुओं को सौंपने की बात कर लिखा है कि “यही संपूर्ण समाधान है”।

Atul Saxena
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Uma Bharti

Uma Bharti happy on Varanasi court’s decision on Gyanvapi : ज्ञानवापी मामले पर वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के फैसले को लेकर मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने खुशी जाहिर की है। उमा ने कोर्ट से आये फैसले को सुखद बताया है। साथ ही सोशल मीडिया पर इस बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने वर्ष 1991 और 1993 की बात कर पुरानी यादों का जिक्र किया है।

सोशल मीडिया पर लिखा- 1991 में मैंने संसद में प्रस्ताव रखा था 

उन्होंने अपने इस सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए जानकारी देते हुए बताया कि अयोध्या काशी और मथुरा को लेकर उन्होंने वर्ष 1991 में संसद में प्रस्ताव रखा था और इन तीनों जगह को हिंदुओं को सौंपने की बात की थी। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी बताया की वर्ष 1993 में उनके द्वारा ज्ञानव्यापी की दीवारों पर अंकित मूर्तियों की पूजा की गई थी।

काशी और मथुरा को हिंदुओं को सौंपना सम्पूर्ण समाधान : उमा 

इन सभी बातों को बताते हुए उमा ने वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के फैसले का जिक्र कर यह लिखा ‘मेरा अनुरोध है कि अयोध्या की तरह काशी और मथुरा में भी मूल स्थान पर मंदिर बनाया जाए और पूजा का अधिकार मिले’। उमा ने अपने इस पोस्ट में आखिर में काशी और मथुरा को हिंदुओं को सौंपने की बात कर लिखा है कि “यही संपूर्ण समाधान है”।

ज्ञानवापी पर आए वाराणसी कोर्ट के फैसले को उमा भारती ने बताया सुखद, काशी और मथुरा पर बोलीं "इन्हें हिंदुओं को सौंप दीजिए"


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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