निष्कासन से भड़के कांग्रेस नेता, बोले- यही हाल रहा तो 2023 में 50 सीटें भी नहीं होंगी पार

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश कांग्रेस (Madhya Pradesh Congress) द्वारा की गई निष्कासन की कार्रवाई से भड़के आजाद सिंह डबास (Azad Singh Dabas) का बड़ा बयान सामने आया है।डबास ने अपने ऊपर हुई कार्रवाई को लेकर कांग्रेस से सवाल किया है और एक हफ्ते में जवाब मांगा है। डबास का कहना है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी को यह तथ्यात्मक जानकारी प्राप्त हुई है कि मैं नियमित रुप से कांग्रेस पार्टी की रीति-नीति के खिलाफ कार्य कर रहा हूँ अतः मुझे कांग्रेस पार्टी की सदस्यता से 6 वर्ष के लिए निष्कासित किया जाता है।यह आरोप सरासर निराधार है।मुझे अपने निष्कासन का जरा भी मलाल नहीं है।

डबास का कहना है कि आपका पत्र मात्र 4 लाईन का है।इसमें ऐसा कुछ भी उल्लेखित नहीं है जो यह दर्शाता हो कि मेरे द्वारा कांग्रेस पार्टी की रीति-नीति के खिलाफ कार्य करने की कोई भी तत्थ्यात्मक जानकारी मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी को प्राप्त हुई है। बगैर किसी तत्थ्यात्मक जानकारी एवंनिराधार ही पार्टी से निष्कासित करना न सिर्फ मेरे विरुद्ध सरासर अन्याय है अपितु प्राकृतिकन्याय के सिद्धांत के खिलाफ भी है।इससे यह भी लगता है कि पार्टी ने पूर्व की तरह कम से कम अगले 13 वर्ष तक विपक्ष में रहना तय कर लिया है। अगर यही हाल रहा तो कांग्रेस पार्टी वर्ष 2023 के आम चुनाव में 50 की संख्या भी पार नहीं करने वाली है। डबास ने पत्र लिखकर कांग्रेस से एक हफ्ते में जवाब मांगा है।

उपचुनाव के बाद कमलनाथ को लिखा था पत्र

डबास ने कहा कि मैं पुनः स्पष्ट करना चाहता हूँ कि मेरे द्वारा आज दिनांक तक कांग्रेस पार्टी की रीति-नीति के खिलाफ कोई कार्य नहीं किया है। हाँ, यह अवश्य है कि मेरे द्वारा दिनांक 18.11.2020 को एक पत्र कमलनाथ (Kamal Nath), अध्यक्ष म.प्र. कांग्रेस कमेटी को लिखा गया था जिसमें मैंने मध्यप्रदेश में हाल ही में संपन्न हुए उपचुनाव होने की नौबत, चुनावों में कांग्रेस पार्टी को मिली करारी हार के कारण एवं भविष्य में पार्टी का हश्र उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh), बिहार (Bihar), बंगाल और दिल्ली (Delhi) जैसे राज्यों जैसा न होने के लिए विस्तृत सुझाव उनको दिये हैं। चुंकि यह पत्र पार्टी हित में बहुत महत्वपूर्ण था अतः इस पत्र को मेरे द्वारा दिनांक 19.11.2020 को प्रदेश कार्यालय में व्यक्तिगत रुप से आमद कराया गया है। हो सकता है कि इस पत्र में उठाये गये ज्वलन्त सवाल एवं दिये गये कठोर सुझाव आप जैसे नेताओं को असुविधाजनक लगे हों, जिसका परिणाम मेरे निष्कासन के रुप में सामने आया है।

2023 में 50 सीटे भी पार नही कर पाएगी कांग्रेस

डबास ने आगे कहा कि अगर ऐसा हुआ है तो यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसी स्थिति यह भी दर्शाती है कि पार्टी अपने अंदर कोई सकारात्मक सुधार नहीं लाना चाहती है। मेरे जैसे कर्मठ कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के कारण ही हाल के उपचुनावों में पार्टी की करारी हार हुई है। इससे यह भी लगता है कि पार्टी ने पूर्व की तरह कम से कम अगले 13 वर्ष तक विपक्ष में रहना तय कर लिया है। अगर यही हाल रहा तो कांग्रेस पार्टी वर्ष 2023 के आम चुनाव में 50 की संख्या भी पार नहीं करने वाली है।

निष्कासन का मलाल नही

डबास ने कहा कि मुझे अपने निष्कासन का जरा भी मलाल नहीं है। हाँ, इस बात का मलाल अवश्य है कि आपके द्वारा मेरे द्वारा उठाये गये सवाल एवं दिये गये सुझावों को पार्टी हित में नहीं देखा गया। मुझे भविष्य में भी इस बात का कतई अफसोस नहीं होगा कि मुझे अकारण ही पार्टी से निष्कासित कर दिया गया लेकिन इस बात का अफसोस जरुर रहेगा कि आपने मेरे सुझावों पर ध्यान न देकर न सिर्फ कांग्रेस पार्टी का भारी नुकसान किया अपितु प्रदेश का भी बहुत अहित किया है।मैं पार्टी में अब आगे कार्य भी नहीं करना चाहता हूँ लेकिन जिस तरह से अकारण पहले मुझे पद से हटाया गया और अब 6 वर्ष तक निष्कासित किया गया, उससे मेरी भावना को ठेस अवश्य लगी है।

डबास ने कांग्रेस से एक हफ्ते में मांगा जवाब

डबास ने कांग्रेस से जवाब मांगा है कि वे पत्र प्राप्ति के 1 सप्ताह के अंदर यह स्पष्ट करने का कष्ट करें कि मुझे पार्टी से निष्कासित क्यों किया गया है ? अगर आपके द्वारा समय अवधि में मुझे समाधानकारक उत्तर नहीं दिया गया तो मुझे पार्टी के केन्द्रिय नेतृत्व को प्रदेश कांग्रेस की समस्त अवांछित गतिविधियों, 15 माह के कांग्रेस शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार एवं मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार (Congress Government) के गिरने के वास्तविक कारणों से अवगत कराने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। आशा है कि कांग्रेस पार्टी और प्रदेश हित में आप मुझे अविलम्ब अवगत करायेंगे।आपके उत्तर के इन्तजार में।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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