भोपाल।
विधानसभा चुनाव के भाजपा की हार के पीछे भितघातियों और बागियों का बड़ा हाथ रहा। इनकी नाराजगी के चलते पार्टी को कई सीटों पर भारी नुकसान उठाना पड़ा और सत्ता चली गई।परिणाम आने के बाद भाजपा ने भी इन पर तबाड़तोड़ कार्रवाई की और पार्टी से निष्कासित कर दिया। लेकिन लोकसभा चुनाव में अब पार्टी कोई रिस्क नही लेना चाहती है।इसके लिए फिर रुठो को मनाने में जुट गई है। खबर है कि आचार संहिता के पहले बागियों को मनाएगी और उनकी फिर घर वापसी करवाएगी।हालांकि इस बार वापसी एक कमिमेंट के आधार पर होगी । अब देखना है कि पार्टी की यह कवायद कहां तक और कैसे सफल होती है। इसका लोकसभा चुनाव में कितना फायदा मिलता है या फिर नही..।
दरअसल, हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान दर्जनों नेताओं ने बगावत कर पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।कुछ दूसरे दलों में शामिल होने चले गए थे, कुछ ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था तो कुछ ने पार्टी के अंदर ही रहकर सेंध लगा दी थी।जिसका नतीजा ये हुआ कि भाजपा के हाथों से १५ सालों की सत्ता चली गई और पार्टी 109 सीटों पर सिमटकर रह गई।कई सीटों पर हार का कारण ये भी बने ।जिसके बाद पार्टी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए करीब 64 लोगों को पार्टी से निष्कासित कर दिया था।इसमें सबसे बड़ा झटका पार्टी को तब लगा था जब वरिष्ठ नेता सरताज सिंह और रामकृष्ण कुसमारिया ने कांग्रेस ही ज्वाइन कर ली।अब चुंकी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और लोकसभा चुनाव सिर पर है ,ऐसे में पार्टी अब कोई रिस्क नही लेना चाहती है। इसलिए आचार संहिता लगने से पहले रुठों को मनाने की कवायद शुरु करने जा रही है।
इसकी पूरी जिम्मेदारी वरिष्ठ नेता और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे को सौंपी गई है।सहस्त्रबुद्धे ने इसके लिए एक कमेटी भी बनाई है जो बागियों और भितरघातियों पर नजर रखेगी और आचार संहिता लगने से पहले मनाकर अपने पाले में करेगी।यह कवायद अगले दस दिनों मे होने की संभावना है।बताया जा रहा है कि पार्टी में लौटने वाले नेताओं से यह वादा लिया भी लिया जाएगा कि जो भी नेता पार्टी उम्मीदवार के तौर पर तय करेगी उसके लिए पूरी ताकत झोंक देगा और उसे ऐसा करके अपनी खोई हुई विश्वसनीयता लौटानी होगी।हालांकि भाजपा का यह फैसला लोकसभा चुनाव में कितना कारगार सिद्ध होगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।