ELECTION SPECIAL: मध्यप्रदेश में चुनावी माहौल है, बस चंद रोज़ बाद हम सब अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे और बहुमत के आधार पर सरकार का गठन होगा। अगले साल केंद्र में चुनाव होंगे और हम एक बार फिर देश की सरकार बनाने में अपनी भूमिका अदा करेंगे। हमें ये बात भले ही सामान्य लगती हो सरकार चुनने के लिए हम अपना वोट देते हैं, लेकिन ये बहुत ही महत्वपूर्ण और विशेष अधिकार है। दरअसल हमें इस तथ्य के महत्व को नए परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए। भारत संसदीय प्रणाली वाला एक प्रभुतासम्पन्न, समाजवादी,धर्मनिरपेक्ष लोकतान्त्रिक गणराज्य है।
दरअसल लोकतंत्र एक व्यवस्था का नाम है, जिसकी एक संवैधानिक व्यवस्था होती है। जब शासन पद्धति पर यह बात लागू हो तो शासन व्यवस्था लोकतांत्रिक हो जाती है। इसमें हिस्सा लेने वाला मताधिकार, सामान्य बहुमत, विशेष बहुमत या आम राय से फैसले लेते हैं। गणतंत्र का अर्थ है वह शासन पद्धति जहां राज्य या राष्ट्र प्रमुख का निर्वाचन सीधे जनता या जनता के प्रतिनिधि करें और राष्ट्र प्रमुख वंशानुगत या तानाशाही तरीके से सत्ता में न आया है। भारत में लोकतांत्रिक सरकार है और राष्ट्रपति का चुनाव होता है इसलिए यह गणतांत्रिक व्यवस्था कहलाती है।
लेकिन कुछ ऐसे देश भी हैं जहां शासन पद्धति तो लोकतांत्रिक होती है पर राष्ट्र अध्यक्ष लोकतांत्रिक तरीके से नहीं चुना जाता, जैसे यूनाइटेड किंगडम जहां राष्ट्र अध्यक्ष राजपरिवार का सदस्य ही होता है। यूरोप के कई देश जिसमें इंग्लैंड सहित स्पेन, स्वीडन, नॉर्वे,डेनमार्क, नीदरलैंड है तथार सुदूर पूर्व में मलेशिया,ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड,जापान आदि प्रजातान्त्रिक (डेमोक्रेटिक) देश तो हैं परन्तु गणतांत्रिक (रिपब्लिकन) नहीं। इसी प्रकार रूस, चीन, क्यूबा,उत्तरी कोरिया जैसे कई देश हैं जो गणतांत्रिक तो हैं पर प्रजातान्त्रिक नहीं हैं।
भारत में दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, अमेरिका सबसे पुराना
भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का गौरव प्राप्त है तो अमेरिका विश्व का सबसे पुराना लोकतंत्र है। दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिकामें द्विदलीय राजनीतिक व्यवस्था है। रिपब्लिकन और डेमोक्रेट यहां दो प्रमुख पार्टियां हैं। यहां राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव की प्रक्रिया भारत के मुकाबले काफी पेचीदा और लंबी होती है। उनके संविधान में ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ के जरिए राष्ट्रपति के चुनाव की व्यवस्था है। हालांकि अमेरिकी संविधान निर्माताओं का एक वर्ग इस पक्ष में था कि संसद को राष्ट्रपति चुनने का अधिकार मिले, जबकि दूसरा धड़ा सीधी वोटिंग के जरिए चुनाव के हक में था। ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ को इन दोनों धड़ों की अपेक्षाओं के बीच की एक कड़ी माना गया। राष्ट्रपति चुनाव से पहले राजनीतिक दल अपने स्तर पर दल का प्रतिनिधि चुनते हैं। प्राथमिक चुनाव में चुने गए पार्टी के प्रतिनिधि दूसरे दौर में राजनीतिक दल का हिस्सा बनते हैं और अपनी पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चुनाव करते हैं। यही वजह है कि कुछ राज्यों में जनता ‘प्राइमरी’ दौर में मतदान का इस्तेमाल न करके ‘कॉकस’ के जरिए पार्टी प्रतिनिधि का चुनाव करती है।
गणतंत्र में संविधान सर्वोच्च होता है और प्रजातंत्र में जनता। गणतंत्र में विधि का विधान यानि कानून का राज्य होता है तो प्रजातंत्र में बहुमत का। अर्थात जिसके पास बहुमत है वही शासक है। रूस और चीन जैसे देशों में संविधान सर्वोपरि है लेकिन वे एकल पार्टी द्वारा शासित राज्य हैं इसलिए वे गणतंत्र तो हैं लेकिन प्रजातंत्र नहीं। गणतंत्र में निर्वाचित सरकार के अधिकार संविधान की सीमाओं में बंधे हैं। नागरिकों की स्वीकृति से संविधान को अपनाया जाता है और इसे केवल जनता के प्रतिनिधियों द्वारा विभिन्न नियमों के तहत संशोधित किया जा सकता है। संविधान के तीन प्रमुख अंग हैं कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका और इन तीनो ही अंगों को शक्ति संविधान देता है। ये तीनों विभाग एक दूसरे से स्वतन्त्र होते हैं तथा एक दूसरे के कार्यों या शक्तियों में हस्तक्षेप नहीं करते।
हमारे संविधान की विशेषता धर्म निरपेक्षता
भारतीय संविधान की जो एक बेहद महत्वपूर्ण विशेषता है वह है धर्म निरपेक्षता। पाकिस्तान में भी गणतंत्र कहता है किन्तु वह इस्लामिक गणतंत्र है। उसी तरह ईरान भी इस्लामिक गणतंत्र हैं। लेकिन भारत में किसी धर्म विशेष को गणतंत्र में सबसे महत्वपूर्ण स्थान नहीं दिया गया है और सभी धर्मों को समान रूप से देखा गया है। हमारे संविधान की अगली विशेषता है समाजवाद। समाजवाद का विचार मार्क्स और लेनिन के सिद्धांतों पर आधारित है जो पूंजीवाद और साम्यवाद के बीच का सन्तुलित मार्ग है। समाजवाद में संपत्ति और बड़े उद्योगों के सहकारी या सरकारी स्वामित्व को बढ़ावा दिया जाता है और निजी भागीदारी को कम। इसी के साथ एक और विशेषता है सम्प्रभुता, जहाँ हमारा संविधान हमारे राष्ट्र को एक स्वतन्त्र और असीमित शक्तियों वाला राष्ट्र घोषित करता है। बाहरी हस्तक्षेप से मुक्ति और किसी भी नियन्त्रण के अधिकार स्वयं को सौंपता है।
ये बहुत ही गौरव की बात है कि हम एक ऐसे देश के नागरिक हैं जो गणतांत्रिक भी है और प्रजातान्त्रिक भी। अपने देश के संविधान की श्रेष्ठता का ज्ञान तभी होता है जब हम विभिन्न देशों की अलग अलग शासन प्रणालियों का थोड़ा अध्ययन करते हैं। इसलिए आईये मिलकर संकल्प लें कि इस बार अपने अपने मताधिकार का सही प्रयोग करेंगे और लोकतांत्रिक व्यवस्था के निर्माण में अपना भी योगदान देंगे।