भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश कैबिनेट (MP Cabinet) के एक निर्णय को लेकर प्रदेश के दो मंत्रियों ने असहमति जताई है। जिस अधिकारी के खिलाफ यह निर्णय हुआ है वो इनमें से एक मंत्री के ओएसडी रह चुके हैं। निर्णय के खिलाफ विधिक राय लेकर आगे की कार्रवाई करने की बात भी सामने आई है।
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मंगलवार को हुई शिवराज कैबिनेट की बैठक में वाणिज्य कर विभाग के उपायुक्त रहे शंभू दयाल रिछारिया का मामला उठा। दरअसल वे 31 अक्टूबर 2020 को सेवानिवृत्त हो गए थे। कैबिनेट में विभाग की ओर से तर्क पेश किया गया कि रिछारिया ने सेवानिवृत्त होने के पहले खुद का पेंशन प्रकरण जिला पेंशन अधिकारी पेंशन शाखा भोपाल को भेजा और खुद ही एनओसी दे दी। इस मामले में जिस पत्र का उल्लेख किया गया वह 18.12.2020 को लिखा गया था और इस पर उपायुक्त वाणिज्य कर टैक्स ऑडिट विंग के हस्ताक्षर थे जिस पद पर खुद रिछारिया उस समय पदस्थ थे।
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पत्र में लिखा गया था कि रिछारिया 31.12.2020 को रिटायर हो जाएंगे। लिहाजा उनका पेंशन प्रकरण तैयार करने हेतु सेवा पुस्तिका एवं पेंशन फॉर्म आवश्यक कार्रवाई हेतु भेजा जा रहा है और इनका पीपीओ जारी किया जाए। कैबिनेट में विभाग की ओर से तर्क दिया गया कि यह एक एनओसी है और खुद रिछारिया ने ही अपने खिलाफ एनओसी जारी कर दी। हालांकि इस मामले में जब पूर्व वित्त मंत्री राघवजी भाई से बात की गई तो उन्होंने साफ तौर पर इस पत्र की भाषा को एनओसी होने से इनकार किया और कहा कि यह एक सामान्य पत्र है जो जारी किया जाना आवश्यक था। राघव जी की बात से पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया ने भी सहमति जताई और कहा कि इस तरह के पत्र सामान्य रूप से जारी किए जाते रहे हैं और इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
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हालांकि कैबिनेट ने रिछारिया के तर्कों से असहमत होते हुए उनके खिलाफ विभागीय जांच करने का फैसला लिया। सूत्रों की माने तो कैबिनेट में इस प्रस्ताव का कुछ मंत्रियों ने विरोध भी किया था बावजूद इसके इसे पास कर दिया गया। इस निर्णय से रिछारिया काफी आहात हुए है। जिसे लेकर रिछारिया काफी आहत हैं और वे विधिक राय लेकर आगे की कार्रवाई के बारे में सोच रहे हैं। रिछारिया काफी लंबे समय तक वित्त मंत्री रहे राघवजी के ओएसडी रह चुके हैं और प्रशासकीय अनुभव एवं अपनी विशिष्ट कार्यशैली के चलते उन्होंने मध्यप्रदेश में अपनी एक अलग ही छाप छोड़ी है।