‘सत्याग्रही’ हुए शायर, चेताया हिंदुस्तान है ये, इसे इज़राइल नहीं बनने देंगे

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भोपाल। नवाबों के शहर की तहजीब इन दिनों विरोध और गुस्से के अवसाद से भरी हुई है। झीलों, पहाड़ों और सुरम्य वादियों की नजाकत में विरोध की बारूदी महक घुली हुई है। मुशायरों के लिए मशहूर इक़बाल मैदान से शायरों की तीखी नज़्म, गजल और कलाम सुनाई देने लगे हैं।

एनआरसी, सीएए, एनपीआर के विरोध में राजधानी के इक़बाल मैदान में एक जनवरी से जारी अनिश्चिततकालीन सत्याग्रह में शहर के नामवर शायरों ने शिरकत की। अंतरराष्ट्रीय शायर मंज़र भोपाली और उस्ताद शायर डॉ यूनुस फरहत की अगुवाई में हुए इस एतेजाजी मुशायरे में विजय तिवारी, ज़फर सहबाई, जलाल मयकश, सरवत जैदी, अशरफ अली इशरत, शमीम हयात, सलीम दानिश, जहांगीर, नाज़िया आदि ने अपने शेर-ओ-कलाम के जरिए कानून संशोधन पर नाराजगी जताई। इस दौरान सभी शायरों ने अपने अंदाज में एनसीआर और सीएए को इस देश की बदकिस्मती करार दिया। उन्होंने कहा कि सियासी फायदों के लिए की जाने वाली हिमाकत ज्यादा दिन नहीं चल सकती, इसका कार्यकाल छोटा है और हश्र बहुत ही बुरा। शायरों ने अपने कलाम के जरिए केन्द्र सरकार को चेताया कि हठधर्मिता छोड़कर देश की गंगा-जमुनी तहजीब को बरकरार रखने की पहल की जाए।

मकसद भरा मुशायरा

कार्यक्रम की निजामत कर रहे अंतर्राष्ट्रीय शायर मंज़र भोपाली ने कहा कि हम देशभर और दुनिया के लगभग सभी मुल्कों में जाकर अपनी शायरी पढ़ते-सुनाते हैं। लेकिन आज की ये महफ़िल खास मकसद की है, ये एक शहरी होने के नाते हमारा फ़र्ज़ भी है और मौके की जरूरत भी। मंज़र ने सत्याग्रह कर रहे युवाओं को यकीन दिलाया कि वे शहर, सूबे और देश की हर ज़रूरत के लिए हमेशा सबके साथ खड़े दिखाई देंगे।

शहीदों को दी श्रद्धांजलि

एनसीआर और सीएए को लेकर देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान अलग-अलग शहरों में मौत के मुंह में समा गए लोगों की तसवीरें इक़बाल मैदान पर लगाई गई हैं। उनको शहीद का दर्जा देते हुए इन तस्वीरों के सामने शांति मशाल भी स्थापित की गई हैं। एतेजाजी मुशायरा सम्पन्न होने के बाद सभी शायरों ने इन सभी शहीदों को खिराज-ए-अकीदत पेश की। 


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