Big News : मध्य प्रदेश में फिल्म निर्माताओं को मिलेगी सशर्त सब्सिडी, परिवहन मंत्री ने कही यह बात।

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट।  परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने अमृत महोत्सव के अवसर पर आयोजित खजुराहो फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन पधारे अतिथि कलाकारों दिलीप ताहिल एवं सुष्मिता मुखर्जी का शॉल श्रीफल एवं मोमेन्टो भेंट कर स्वागत किया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में अन्य राज्यों की तरह फिल्म निर्माताओं को इस शर्त के साथ फिल्म निर्माण के लिये सब्सिडी प्रदान की जाएगी कि वे फिल्म में प्रदेश के 70 फीसदी कलाकारों अथवा कामगारों को अवसर देंगे। परिवहन मंत्री श्री राजपूत ने कहा कि 11 दिसम्बर तक चलने वाले इस समारोह में देश की संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस वर्ष यह फेस्टिवल शहीद जवानों को समर्पित किया गया है। श्री राजपूत ने अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के अंतर्गत पाहिल वाटिका में टपरा टॉकिज का फीता काटकर शुभारंभ किया। उन्होंने टॉकिज में शुभारंभ के अवसर पर वेनिजुएला की फिल्म ‘द इनरग्लो (The Inneglow)’ देखी।

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खजुराहो में बनेगा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 

परिवहन मंत्री श्री राजपूत ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश फिल्म निर्माण के लिये उपयुक्त स्थल हैं। प्रदेश में लगभग हर माह 8 से 10 फिल्मों की शूटिंग होती है। उन्होंने कहा कि पर्यटन की दृष्टि से खजुराहो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व विख्यात है। परंतु अभी भी यहां विकास को गति देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि खजुराहो को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिये खजुराहों के हवाई अड्डे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हवाई अड्डे के रूप में विकसित किया जाएँ जिससे अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को प्रारंभ किया जा सकें।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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