भोपाल।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले शुक्रवार को आए एक्जिट पोल ने जहां कांग्रेस को बड़ी राहत दी है, वही बीजेपी को चिंता में डाल दिया है। पोल के अनुसार, एमपी मे कांग्रेस की सरकार बनती नजर आ रही है वही 13 सालों से ज्यादा सत्ता पर काबिज बीजेपी की विदाई होती दिखाई दे रही है।खैर अभी नतीजे आना बाकी है, तब तक बीजेपी जीत की उम्मीद लगाए बैठी है। ऐसी सूरत में बीजेपी को जीत मिलती तो निश्चित रूप से जीत का श्रेय पीएम मोदी और पार्टी के आला नेताओं की दिया जाएगा, लेकिन हार के लिए जिम्मेदारी किसकी होगी, ये अहम सवाल है। अगर एग्जिट पोल चुनावी नतीजों में तब्दील हो जाता हैं तो फिर इस हार के लिए कौन जिम्मेदार होगा, यह सवाल सबको बैचेन कर रहा है। हालांकि बीजेपी के वरिष्ठ नेता तो अभी से इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज को जिम्मेदार ठहरा रहे है।
इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के मुताबिक, प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है, लेकिन कांग्रेस मामूली बढ़त के साथ आगे है। पोल के मुताबिक 230 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी को 102 से 120 सीट और कांग्रेस 104 से 122 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि बसपा को 3 और अन्य को 3 से 8 सीटें मिलने का अनुमान है। पिछले चुनाव की बात करे तो 2013 के चुनाव में बीजेपी को 165 और कांग्रेस को 58 सीटें मिली थीं। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान पिछले 13 साल से मुख्यमंत्री हैं। इन बीते सालों में शिवराज ने प्रदेश में बहुत विकास किया। लेकिन फिर भी चुनाव के अंतिम दौर में कही सत्ताविरोधी लहर तो कही अपनों की नाराजगी पार्टी पर भारी पड़ती नजर आई। वही एक्जिट पोल में भी इस बात का असर पड़ता हुआ नजर आ रहा है। पोल के अनुसार , कांग्रेस जीत की ओर अग्रसर होती दिखाई दे रही है वही भाजपा के हाथ से रेत की तरह सत्ता खिसकती हुई दिखाई दे रही है। ऐसे में मान लिया जाए कि कांग्रेस विजयी होती है और भाजपा सत्ता से बाहर …तो सवाल ये है कि फिर हार की जिम्मेदारी किसकी होगी। मुख्यमंत्री शिवराज, मोदी, अमित शाह या फिर पार्टी की। क्योंकि सत्ता बचाने के लिए पीएम मोदी और अमित शाह सहित पार्टी के कई नेताओं ने कई अंतिम दौर तक तबाड़तोड़ रैलियां की । मोदी ने भी अपनी चुनावी रैलियों में जहां कांग्रेस पर हमले बोले वही शिवराज के कामकाज की जमकर तारीफ भी की थी। इसके बावजूद एक्जिट पोल में एमपी में बीजेपी से आगे कांग्रेस दिख रही है। अगर नतीजे ऐसे ही रहे तो फिर हार की जिम्मेदारी किसकी होगी। यह बड़ा सवाल है।
बता दे कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को 2019 का सेमीफाइल माना जा रहा है. ऐसे में बीजेपी शासित तीनों राज्य उसके हाथ से निकलते हैं, तो इसका असर लोकसभा चुनाव में भी पड़ेगा। ऐसे में बीजेपी के आला नेता कभी नहीं चाहेंगे कि हार की जिम्मेदारी राष्ट्रीय नेतृत्व या फिर नरेंद्र मोदी के सिर फूटे। इस सूरत में तीनों मुख्यमंत्री को अपने सिर हार का ‘सेहरा’ बांधना पड़ सकता है।
बीजेपी हारी तो मुखिया होगा जिम्मेदार
हाल ही एग्जिट पोल के बाद प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर ने बयान दिया था अब यह भाजपा वो पार्टी नहीं है जो हमारे समय में हुआ करती थी। जब जनसंघ हुआ करता था। अब पार्टी में कार्यकर्ताओं की कोई अहमियत नहीं है। अगर भाजपा हारती है तो इसके जिम्मेदार प्रदेश के मुखिया होंगे। वही वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा का कहना है कि भाजपा इस चुनाव में बहुमत प्राप्त करती है तो इसका श्रेय अथक परिश्रम करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जाएगा लेकिन अगर हारती है तो इसकी जिम्मेदारी भी श्रेय लेने वाले को ही लेनी चाहिए। शर्मा ने आगे कहा कि सत्ता में रहते हुए ‘माई के लाल’ जैसे दंभ भरे बयान देने से बचना चाहिए। यदि इस तरह के बयान नहीं दिए गए होते तो 5 से 10 दिन में भाजपा की बढ सकती थी और असमंजस की स्थिति ना रहती।