भोपाल। कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह और बीजेपी की साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के चुनावी रण में उतरने से देश भर की निगाहें इस सीट पर टिकी हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच वोटों का अंतर महज 62 हजार रहा था। कांग्रेस इस अंतर को पाटने के लिए पूरा जोर लगा रही है। उसे लग रहा है इस बार वह बीजेपी के इस दुर्ग को भेदने में कामयाब हो जाएगी। वहीं, बीजेपी ने 2014 में 3 लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी। पार्टी ने इस बार जीत के अंतर को बढ़ाने का टारगेट रखा है। जिसे लेकर बूथ स्तर पर कार्यकर्ता पूरी ताकत झोंक रहे हैं।
दरअसल, विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस ने पूरा जोर लगा कर भोपाल में चुनाव लड़ा। जिसका नतीजा बीजेपी की पुरानी गढ़ बन चुकी सीटों पर जीत हासिल की और अन्य सीटों पर जीत का अंतर बहुत कम रहा। विधानसभा चुनाव में भोपाल की सात में से तीन पर कांग्रेस के उम्मीदवार जीते। इनमें से दो कैबिनेट मंत्री बने हैं। दोनों ही दिग्गी के खास हैं और उनको जीत का बड़ा जिम्मा सौंपा गया है। भोपाल लोकसभा में आठ विधानसभा आती हैं इसमें एक सीट सीहोर जिले की भी शामिल है जहां दो लाख से अधिक वोटर हैं। इन सभी आठों विधानसभा में वोट का अंतर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सिर्फ 62 हजार वोट का है। जिसे आधार बनाकर कांग्रेस इस बार भोपाल में जीत की आस लगाे बैठी है।
2014 में भाजपा का पूरे प्रदेश में अच्छा प्रदर्शन रहा था। बीजेपी ने प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 27 पर जीत हासिल की थी। लेकिन विधानसभा चुनाव में बीजेपी का गणित बिगड़ गया है। भोपाल लोकसभा सीट पर बीजेपी के आलोक संजर ने कांग्रेस के पीसी शर्मा को तीन लाख 70 हजार से अधिक वोटों से हराया था। तब मोदी लहर का प्रभाव भी था और बीजेपी का होल्ड भी। फिलहाल परिस्थितियां बदली हैं, देश में मोदी लहर का प्रभाव कम है। वहीं, दिग्विजय सिंह के खड़े होने से भी बीजेपी बैकफुट पर है और पूरी ताकत झोंक रही है। बीजेपी के सभी नेता और कार्यकर्ता एक जुट होकर काम कर रहे हैं।