भोपाल।
दो दिन बाद मध्यप्रदेश की तस्वीर साफ हो जाएगी कि किसकी सरकार बनेगी और कौन वनवास भोगेगा। लेकिन इसके पहले जनता की खमोशी, पंडितों की भविष्यवाणी, सट्टा बाजार और मीडिया द्वारा करवाए गए एक्जिट पोल अपने अपने मत रख रहे है। कोई बीजेपी की विदाई करवा रहा है तो कोई कांग्रेस की सरकार बनवाकर बदलाव की बात कर रहा है। इन आंकडों के बीच राजनैतिक दल उलझ कर रह गए है। किसी को पूर्णत स्पष्ट नही हो पा रहा है कि आखिर बहुमत किसको मिलेगा। इसी बीच कांग्रेस और भाजपा की नजरें अब उन 16 सीटों आ टिकी हैं जो मध्य प्रदेश में सरकार बनाने का रास्ता तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। खैर जीत किसकी होगी इस बात का फैसला तो 11 दिसंबर को ही होगा, लेकिन इसके पहले इन ‘स्पेशन16 ‘ सीटों ने भाजपा कांग्रेस की नींद उडा़कर रख दी है।
दरअसल, मध्य प्रदेश की इन 16 सीटों में मालवा-निमाड़ क्षेत्र की मनावर, खारगौन, सेंधवा, सुसनेर, जवाड़ और बड़नगर, ग्वालियर (पूर्वी), सौंसर, नरयावली, होशंगाबाद, घोड़ा, डोंगरी, बैतूल, नेपानगर, बिजावर, बड़वारा और निवास सीटें शामिल है। माना जाता रहा है कि अगर राजनैतिक पार्टियों ने इन पर जीत हासिल कर लेती है तो सरकार बनाने में कामयाब हो जाती है। इनमें 4 ऐसी विधानसभा सीटे खारगौन, नेपानगर, सेंधवा और निवास हैं जिनपर पिछले 37 सालों में जीत हासिल करने वाले दल ने सरकार बनाई है।वही तीन ऐसी विधानसभा मनावर, सौसर और नरयावली सीटे है जिनपर ३४ सालों में जीत हासिल करने वाली पार्टी सत्ता तक पहुंचने में कामयाब रही है।वही सात ऐसी विधानसभा बड़वारा, घोड़ा डोंगरी, बड़नगर, बैतूल, जवाड़ और होशंगाबाद सीटे है, जिनपर 29 सालों में जीत करने वाली पार्टी ने मध्यप्रदेश को जीता हो। इसे मिथक कहे या कुछ और..लेकिन सालों से इन सीटों का गणित ऐसे ही लगाया जाता रहा है। मतगणना में अब केवल दो दिन बचे है, ऐसे में भाजपा-कांग्रेस की नजर इन सीटों पर आ टिकी है। इन सीटों पर यह मिथक सालों से कायम रहा है। ऐसे में अब सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या इस बार यह मिथक टूटेगा या नही… इन सीटों का जादू बरकरार रहेगा या नहीं, यह देखने वाली बात होगी।
बता दे कि मध्यप्रदेश में 230 सीटें हैं। इसके लिए 28 नवंबर को वोटिंग हुई थी। 75 फीसदी लोगों ने मतदान किया था। 2013 में भाजपा ने 165 और कांग्रेस ने 58 सीटें जीती थीं।वही एक्जिट पोल में भाजपा को 102 से 120 सीट और कांग्रेस 104 से 122 सीटें मिलने का अनुमान जताया जा रहा है। वही सट्टा बाजार और पंडितों की भविष्यवाणी भी कांग्रेस की जीत की ओर इशारा करती हुई नजर आ रही है।हालांकि फैसला तो 11 दिसंबर को ही होगा कि सरकार किसकी बनेगी।