भोपाल। विदेश मंत्री सुषमा स्वाराज और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का एलान किया है। दोनों मंत्रियों ने इसके पीछे अपने व्यक्तिगत कारण बताए हैं। अब सवाल उठने लगे हैं कि भाजपा सांसदों में चुनावी रण छोड़ने का कारण कहीं हार का डर तो नहीं हैं। हालांकि, स्वराज और भारती पर यह बात कुछ हद तक सही नहीं बैठती। दोनों ही कद्दावर नेता हैं और जनता के बीच लंबे समय से लोकप्रिय भी हैं। लेकिन प्रदेश के कई सांसदों ने उनसे पहले ही विधानसभा चुनाव लड़ कर इस बात के संकेत दिए हैं कि उन्हें आम चुनाव में अपनी जीत का भरोसा नहीं है।
प्रदेश में इस बार भाजपा ने तीन सांसदों को विधानसभा चुनाव में टिकट दिया है। इनमें मुरैना सांसद अनूप मिश्रा, खजुराहो सांसद नागेंद्र सिंह और देवास सांसद मनोहर ऊंटवाल शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक तीनों सांसदों को लोकसभा चुनाव में अपनी जीत को लेकर शंका थी। लिहाजा इन्होंने विधानसभा में ही अपनी किस्मत आजमाना ठीक समझा। इसके अलावा 2019 में होने वाले लोक सभा चुनाव में मोदी लहर का प्रभाव भी कम देखने को मिल रहा है। बीते चुनाव में मोदी लहर के साहारे कई उम्मीदवारों को सांसदी मिल गई। लेकिन अब उन्हें अंदाजा है इस बार नतीजे पलट सकते हैं। इसलिए चुनाव से पहले की मैदान छोड़ने का ऐलान कर रहे हैं। इनमें सागर सांसद लक्ष्मीनारायण यादव भी शामिल हैं। पार्टी ने उनके बेटे को टिकट दिया है। यादव के बेटे को टिकट मिलने के बाद अब उनके चुनाव लड़ने की संभावना नहीं है।
इनके अलावा कई और सांसद ऐसे रहे जिन्होंने विधानसभा का टिकट पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया. ये और बात है कि उन्हें टिकट नहीं मिला. भिंड से सांसद भागीरथ प्रसाद भी उनमें से एक हैं. भोपाल सांसद आलोक संजर भी इसी फेहरिस्त में थे. बीजेपी इसे पार्टी की रणनीति के साथ जोड़कर बता रही है वहीं कांग्रेस हार के डर से मैदान छोड़ने वाले नेताओं की संख्या गिना रही है।