BHOPAL NEWS : गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए प्रत्येक माह की 9 और 25 तारीख को एक्सटेंडेड प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का आयोजन किया जा रहा है। अभियान में गर्भावस्था की दूसरी एवं तीसरी तिमाही की महिलाओं की जांच कर हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं को चिन्हित किया जा रहा है।
जांच शिविरों में गर्भावस्था के गंभीर लक्षणों की जानकारी
25 दिसंबर को शासकीय अवकाश होने के कारण 26 दिसंबर को पीएमएसएमए शिविर आयोजित किया गया। अभियान के तहत जिले की 68 स्वास्थ्य संस्थाओं में स्वास्थ्य परामर्श एवं जांच शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। अभियान के तहत इस साल 13268 गर्भवती महिलाओं का पंजीयन किया जा चुका है। महिलाओं की जांच प्रत्येक शिविर में सुनिश्चित की जा रही है। हर महिला की फॉलोअप जांचें करके डेढ़ लाख से अधिक जांचें की जा चुकी है। इस दौरान जागरूकता एवं जांच शिविरों में गर्भावस्था के गंभीर लक्षणों की जानकारी भी दी जाती है।
शिविरों में मानसिक स्वास्थ्य परामर्श एवं स्क्रीनिंग की शुरुआत
गर्भवती महिलाओं और प्रसवोत्तर महिलाओं के लिए मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता को देखते हुए इन शिविरों में मानसिक स्वास्थ्य परामर्श एवं स्क्रीनिंग की शुरुआत की गई है। मानसिक समस्याओं के लिए गर्भवती महिलाओं एवं उनके परिजनों को लक्षणों की पहचान एवं उसके उपचार के संबंध में परामर्श दिया जा रहा है। महिलाओं में समस्या पाए जाने पर उन्हें दवाएं और मनोवैज्ञानिक परामर्श प्रदान किया जा रहा है।
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम
गर्भावस्था एवं प्रसव पश्चात महिलाएं डिप्रेशन, चिंता और अन्य मानसिक समस्याओं से ग्रसित हो सकती हैं। इसे देखते हुए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत इस पहल का उद्देश्य महिलाओं एवं परिजनों को गर्भावस्था के दौरान शारीरिक के साथ साथ मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है।
महिलाओं में गर्भावस्था के गंभीर लक्षणों की पहचान कर सलाह एवं दवाइयां
एक्सटेंडेड प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान में उच्च जोखिम के लक्षणों वाली गर्भवती महिलाओं की जांच, परामर्श, उपचार, पैथोलॉजी जांच, सोनोग्राफी जांच की जाती है । यह अभियान नवंबर 2016 से प्रारंभ किया गया था। अभियान को विस्तार देते हुए प्रत्येक माह की 9 और 25 तारीख को यह अभियान आयोजित किया जाता है। अभियान में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और मेडिकल कॉलेज को शामिल किया गया है। स्वास्थ्य विभाग के मैदानी कार्यकर्ता जैसे आशा , ए एन एम द्वारा गर्भवती महिलाओं को परामर्श एवं जांच हेतु स्वास्थ्य संस्थानों में लाया जाता है। जहां पर चिकित्सकों द्वारा महिलाओं में गर्भावस्था के गंभीर लक्षणों की पहचान कर सलाह एवं दवाइयां दी जाती हैं।
हाई रिस्क प्रेगनेंसी के रूप में चिन्हित किया जाता
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ प्रभाकर तिवारी ने कहा कि गर्भावस्था में एनीमिया, गर्भावस्था जनित उच्च रक्तचाप,गर्भावस्था जनित डायबिटिज़, पूर्व में ऑपरेशन द्वारा प्रसव इत्यादि लक्षण होने पर हाई रिस्क प्रेगनेंसी के रूप में चिन्हित किया जाता है। इन महिलाओं को विशेष चिकित्सकीय देखभाल एवं परामर्श की सेवाए प्रदान की जाती है। शिविर में विशेषज्ञीय चिकित्सकीय परामर्श के साथ हीमोग्लोबिन, यूरिन एल्ब्युमिन, शुगर, मलेरिया, टीबी, हेपेटाईटिस, ओरल ग्लूकोज़ टेस्ट, ब्लड ग्रुप, एचआईवी, सिफलिस की जांच की जाती है। चिकित्सकीय परामर्श अनुसार सोनोग्राफी एवं थायराईड की जांच भी की जाती है।
सही समय पर जांच और इलाज
मातृ मृत्यु दर को न्यूनतम करने के लिए, उच्च जोखिम की गर्भवती महिलाओं का सही समय पर चिन्हांकन किया जाना बेहद आवश्यक है। जिससे इन गर्भवती महिलाओं को विशेष देखभाल एवं चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध करवाई जा सके। हाईरिस्क महिलाओं की न्यूनतम 4 जांचों के साथ 3 अतिरिक्त जांचे भी की जाती हैं। जिनमें से न्यूनतम एक जांच स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा की जाती है।