भिक्षावृत्ति कराने का मामला, बच्चों का DNA कराने की कोर्ट ने दी इजाजत

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भोपाल।  राजधानी पुलिस द्वारा भिक्षावृत्ति करते हुए पकड़े गए अबोध और नाबालिग बच्चों के मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा अभियोजन की और से खुशहाल नौनिहाल  कार्यक्रम के तहत अदालत में पैरवी करने के लिए नियुक्त किए गए अधिवक्ता यावर खान ने बाल संप्रेषण गृह में रह रहे बच्चों का डीएनए टेस्ट कराए जाने को लेकर अदालत में एक आवेदन पेश किया है। मजिस्ट्रेट ने आवेदन पर सुनवाई के बाद आदेश के दिते हुए 16 जुलाई की तारीख नियत की है।

पुलिस द्वारा इस संबंध में दर्ज किए गए केस में लगभग 810 आरोपी गणों को गिरफ्तार किया था । इन सभी पर यह आरोप था कि यह लोग छोटे अभ्यास बच्चों को किडनैप करके ले कर आते हैं और उनसे भिक्षावृत्ति करवाते हैं। इस मामले में बाल समिति तथा विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से अभियोजन तथा नाबालिग बच्चों की ओर से उनके विधिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए अधिवक्ता यावर  को नियुक्त किया गया है। 

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यावर ने बताया कि  मामले का एक – एक आरोपी  दस-दस बच्चों के माता- पिता होना बता रहे हैं जबकि 5 बच्चों की उम्र लगभग 5 वर्ष के बराबर है ऐसी स्थिति में प्रथम दृष्टया देखने पर यह संभव नहीं है कि एक माता- पिता की पांच संतानों की आयु 5  वर्ष हो । मामले में अभियोजन की ओर से सभी आरोपी गण का डीएनए परीक्षण कराने हेतु आवेदन दिया गया है यदि डीएनए में बच्चों तथा आरोपीगण का डीएनए मैच नहीं होता है तो निश्चित तौर पर बच्चों की खरीद फरौख्त करने तथा किडनैपिंग करने का अपराध भी आरोपी गण पर सिद्ध होगा ।


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