भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सरकार सूचना का अधिकार कानून (RTI)के तहत जानकारी देने को पूरी पूरी तरह पारदर्शी बनाना चाहती है लेकिन जिम्मेदार पदों पर बैठे सरकारी मुलाजिम ना सिर्फ सरकार की मंशा को पलीता लगा रहे हैं बल्कि लोगों को जातिसूचक शब्द कहकर अपमानित भी कर रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में राज्य सूचना आयुक्त ने कड़ा रुख अपनाते हुए जांच शुरू कर दी है साथ ही कलेक्टर को भी कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। आयोग ने वरिष्ठ अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा और एक अन्य को व्यक्तिगत रूप से आयोग के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया है।
मामला सिंगरौली जिले के बैढ़न जनपद पंचायत का है। जनपद पंचायत अध्यक्ष भोला प्रसाद साकेत ने राज्य सूचना आयोग (state information commission) को 28 फरवरी 2022 को एक पत्र लिखकर जनपद पंचायत बैढ़न के सीईओ अशोक कुमार मिश्रा , पंचायत इंस्पेक्टर बृजेन्द्र तिवारी और लेखापाल निधि शुक्ला उसे जातिसूचक शब्दों से अपमानित करते हैं और कहते हैं कि तुम कितनी भी RTI (Right to Information Act) लगा लो जानकारी नहीं मिलेगी।
मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह (State Information Commissioner Rahul Singh) ने पाया कि आवेदक अपीलार्थी भोला प्रसाद साकेत ने RTI के तहत कई आवेदन लगाए लेकिन उसे कोई जानकारी नहीं दी गई जबकि आवेदनों की पावती आवेदक के पास मौजूद मिली। भोला प्रसाद ने 09 जनवरी 2019 को को RTI के तहत आवेदन प्रस्तुत किया। तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी बृजेन्द्र तिवारी ने कोई जानकारी नहीं दी तो भोला प्रसाद ने जिला पंचायत के सीईओ को 13 फरवरी 2019 को आवेदन प्रस्तुत किया लेकिन वहां सभी उसे कोई जानकारी नहीं दी गई।
पहली अपील में जानकारी नहीं मिलने पर आवेदक ने दूसरी अपील 28 अगस्त 2019 को आयोग के सामने फ़ाइल प्रस्तुत की। जिसमें उसने पूरी जानकारी देते हुए बताया कि उसे कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। आयोग ने जब तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी बृजेन्द्र तिवारी से जानकारी मांगी तो उन्होंने अपीलार्थी के किसी भी तरह के आवेदन नहीं होने की बात कही , जब उनसे (पावती) रसीदों के बारे में सवाल किया गया तो वे संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए।
अपीलार्थी ने आयोग को लिखे पत्र में स्पष्ट रूप से नाम लेकर अधिकारियों पर उसे उसकी जाति का नाम लेकर अपमानित करने और उसी आधार पर किसी भी तरह की जानकारी नहीं देने की बात कही। राज्य सूचना आयुक्त ने इसे गंभीर माना और अपने आदेश में कहा कि इस तरह के जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करना अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 की धारा 3(1) m के तहत दंडनीय अपराध है।
सुनवाई के दौरान राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने प्रकरण में आवश्यक कार्रवाई के लिए दस्तावेज सिंगरौली कलेक्टर को भेज दिए हैं वहीं आरटीआई अधिनियम के तहत आयोग स्तर पर सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के तहत जांच शुरु की है। इसमें जनपद पंचायत बैढ़न के सीईओ अशोक कुमार मिश्रा से स्पष्टीकरण मांगा गया है। इस प्रकरण में सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने 10 दिन के भीतर जनपद अध्यक्ष को जानकारी देने के आदेश जारी किए हैं। साथ ही तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी बृजेन्द्र तिवारी (पंचायत इंस्पेक्टर ) को 25 मार्च 2022 को राज्य सूचना आयोग में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
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