चार साल से नहीं मिला अनुदान, नौकरियां छोड़ गए मदरसा शिक्षक

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भोपाल। राजधानी में दीनी तालीम के साथ आधुनिक शिक्षा देने वाले मदरसे अब हिचकियां ले रहे हैं। अनुदान से इनका संचालन होता है। केंद्र सरकार से इन्हें चार साल से 16.06 करोड़ रुपए का अनुदान नहीं मिला है। पूरे प्रदेश का आंकड़ा 60 करोड़ हैं। इसके चलते कुछ मदरसों से शिक्षक नौकरी छोड़कर चले गए तो अब कुछ बंद होने की कगार पर हैं। इस मुद्दे पर मदरसा संचालकों ने राज्य एवं केंद्र सरकार का ध्यान भी दिलाया, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।

राजधानी के विभिन्न इलाकोंं में पिछले दो दशक से संचालित अनुदान प्राप्त मदरसों की वित्तीय स्थिति लडख़ड़ा गई है। वह अपने शिक्षकों को वेतन नहीं बांट पा रहे हैं। अकेले भोपाल में ही शिक्षकों की संख्या 926 है। ऐसे में मदरसों में शिक्षकों के तौर पर सेवाएं देने वालों ने भी अपना रास्ता बदल लिया है। इसकी खास वजह यह भी है कि 20 साल सेवाएं देने के बाद भी राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश की तरह उन्हें शिक्षक का दर्जां सरकारी स्तर पर नहीं मिला है। ऐसे में शिक्षकों के स्थान पर संचालकों को शिक्षक के दायित्व की पूर्तिं करना पड़ रही है। भोपाल में अनुदान लेने वाले मदरसे मप्र मदरसा बोर्डं और पंजीयक फम्सज़् एवं सोसायटी में पंजीकृत हैं।

गौरतलब है कि प्रति मदरसा को 72 हजार रुपए सालाना अनुदान मिलता है ताकि इसमें शिक्षक के वेतन के साथ किराया एवं अन्य खर्च की पूर्ति कर सके। राजधानी में प्राथमिक, मिडिल और हाईस्कूल शिक्षा स्तर के मदरसे हैं। अधिकतर मदरसे किराए के भवन में संचालित होते हैं। इनमें न्यूनतम 35 छात्र होना अनिवार्य है। इसके विरुद्ध मिडिल एवं हाईस्कूल स्तर के कई मदरसों में छात्र संख्या 1100 से 3500 तक है।

खास-खास 

-भोपाल में अनुदान प्राप्त मदरसों की संख्या 432 

-प्रदेश के मदरसों का 4 साल से बकाया है 60 करोड़ रुपए

-सरकारी अनुदान के अलावा मदरसों की आय का कोई स्त्रोत नहीं

-926 शिक्षक अनुदान से वेतन पाने वाले भोपाल में

-बंद हो जाएंगे मदरसे

1642 मदरसे मप्र में अनुदान प्राप्त करने वाले

3748 शिक्षक मप्र में अनुदान से वेतन पाने

इनका कहना

आधुनिक मदरसा कल्याण संघ मदरसों की बदहाली को लेकर लगातार सरकारों को सूचना दे रही है। कई बार आश्वासन मिले, लेकिन समस्या का निराकरण अब तक नहीं हो पाया है। हालात यही रहे तो प्रदेश से मदरसा शिक्षा व्यवस्था खत्म हो जाएगी। जिससे हजारों बच्चों को तालीम और सैकड़ों शिक्षकों को नौकरी छूटने की सजा भुगतना पड़ेगी।

कफील अहमद

उपाध्यक्ष, आधुनिक मदरसा कल्याण संघ


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