सीएम शिवराज ने बताया उन्हें किसके लिए तड़प रहती है, इस विभाग को बताया अपना परिवार

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) ने आज कुशाभाऊ ठाकरे सभागार, भोपाल में आयोजित महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Department MP) के “मैदानी अमले का मार्गदर्शन, प्रोत्साहन एवं उत्प्रेरण” कार्यक्रम में कहा कि क्या महिला बाल विकास विभाग यह संकल्प ले सकता है कि 1 साल के अंदर एक भी बच्चा अंडरवेट नहीं रहेगा? ये असंभव नहीं है, हम देखेंगे और करके दिखाएंगे। विभाग की योजनाओं का भी लाभ देंगे और समाज से भी सहयोग लेंगे।  

सीएम शिवराज ने कहा कि मैं दिन में 18 घंटे काम करता हूँ, अभी भी मेरा गला बैठा हुआ है, सुबह से लेकर देर रात तक एक तड़प रहती है मन में कि मुझे मध्य प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता के लिए काम करना है, अंदर से आवाज आती है, पगला क्या तू बैठेगा आराम से? क्या तुझे विश्राम करने का हक़ है? अंदर से मुझे और भागने का आदेश मिलता है भागता रहता हूँ।

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उन्होंने कहा कि हमारी जिन बहनों को आज हमने सम्मानित किया है उनमें से कुछ ऐसी हैं जिनको लगता है कि मेरी आंगनबाड़ी का कोई बच्चे कुपोषित कैसे रह सकता है? उसको सुपोषित करने के लिए मैं जी-जान लगा दूंगी, वो मेहनत करती हैं, आप भी सोचकर देखिये।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला और बाल विकास मेरे लिए सिर्फ विभाग नहीं बल्कि मेरा अपना परिवार है, यहाँ विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारी – कर्मचारी बैठे हैं, क्या महिला बाल विकास विभाग यह संकल्प ले सकता है कि 1 साल के अंदर एक भी बच्चा अंडरवेट नहीं रहेगा? हम देखेंगे और करके दिखाएंगे।

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उन्होंने कहा कि इसके लिए विभाग की योजनाओं का भी लाभ देंगे और समाज से भी सहयोग लेंगे, ये असंभव नहीं है, करके दिखाया जा सकता है, उसके लिए बैठकर प्लानिंग करेंगे, आंगनबाड़ी की कुछ जरूरतें सरकार पूरी करेगी कुछ समाज से पूरी करवाएंगे। बड़े शहरों से छोटे शहरों के लिए मदद मांगेंगे , लेकिन पहले लिस्टिंग करें आंगनवाड़ी की।  उन्होंने कहा कि अब आंगनबाड़ी केवल आंगनबाड़ी नहीं रहेंगी, बच्चों की प्री स्कूलिंग भी वहीं होगी।

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उन्होंने कहा कि हम आंगनबाड़ी के बच्चों को खिलौनों के लिए हाथ ठेला लेकर निकले थे लोगों ने कई ट्रक भर दिए, करोड़ों के चेक भी दिए, इसका मतलब है समाज के पास देने को बहुत कुछ है। लोग जुड़ना चाहते हैं। इसलिए हमने हमने “अडॉप्ट ए आंगनबाड़ी” अभियान चलाया। जिसका उद्देश्य समाज को आंगनबाड़ी से जोड़ना है। जरुरत पड़ी तो फिर हाथ ठेला लेकर निकल देंगे , बच्चों के लिए मांगने में क्या हर्ज है?

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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