दस्तावेज से नहीं, डीएनए से हो नागरिकता की जांच : मसूद

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भोपाल। भारत में रहने के लिए भारतीय नागरिकता और अपना वंश साबित करने की बात कहते कानून को लेकर उठे विरोध के बीच अब एक नया मशविरा पेश किया गया है। राजधानी भोपाल के विधायक आरिफ मसूद का मानना है कि बाबूओं और अधिकारियों की लालफीताशाही से छनकर आने वाले किसी भी दस्तावेज पर भरोसा किया जाना मुश्किल है। उनका मानना है कि चंद सिक्कों की खनक से किसी भी तरह का डाक्युमेंट आसानी से तैयार करवाया जा सकता है। मसूद का कहना है कि असल भारतीय की पहचान ही करना है तो देश के हर नागरिक का डीएनए टेस्ट करवाया जाए, जिससे उसकी असल नस्ल का पता लगाया जा सके। 

विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि भारतीय सभ्यता सभी धर्म, समाज, वर्ग को अंगीकार करने की रही है। इसलिए कालांतर में यहां विभिन्न देशों से अलग-अलग जातियों की अवाजाही यहां होती रही है। उन्होंने कहा कि मूलत: यह देश आदिवासियों (आदि काल से यहां वास करने वाले) और गौंडों का रहा है। इसके बाद यहां लगातार लोगों की आवाजाही का सिलसिला चलता रहा है। उन्होंने कहा कि इस देश की धरती पर आस्ट्रेलिया से आए आस्ट्रक भी बसे और अफ्रीका से चलकर यहां पहुंचे नेग्रेटों ने भी अपना आशियाना बनाया है। कालांतर में हिन्दुस्तान की सरजमीं ने द्रविड़, आरयन, अरब, डच, फे्रंच, ब्रिटिश भी यहां आकर बसते रहे हैं। मसूद ने कहा कि हमारे देश की संस्कृति और सभ्यता यही रही है कि इसने हर आने वाले को अपने दामन में जगह दी है। ऐसे में किसी सरकार द्वारा इस बात पर बहस शुरू करना और कानून बनाना कि देश का असल नागरिक कौन है, न तो तर्कसंगत है और न ही इस देश की सभ्यता के लिहाज से दुरुस्त। उन्होंने कहा कि सियासी रेवडिय़ां बटोरने के लिए देश को बंटवारे के हालात में पहुंचाने के लिए नागरिकता प्रमाणित करने के कानून लागू किए जा रहे हैं। मसूद ने कहा कि इस देश पर हर उस व्यक्ति का अधिकार है, जिसने यहां जन्म लिया है। इस बात की जांच करने के लिए उससे उसके प्रमाण पत्र देखने की बजाए उसका डीएनए टेस्ट करवा लिया जाना चाहिए, ताकि उसका असल गौत्र पता लगाया जा सके कि उसकी नस्ल कहां से शुरू हुई है।

राष्ट्रीय मंच ने कहा गुमराह करने की कोशिश

इधर भाजपा और संघ से पोषित मुस्लिम राष्ट्रीय मंच कानून संशोधन को उचित कदम बताते हुए देशभर में इसके लिए समर्थन जुटाने निकली हुई है। 23 दिसंबर से शुरू किए गए अभियान के दौरान देश के विभिन्न प्रदेशों सहित मप्र में यह अभियान जारी है। 23 जनवरी तक जारी रहने वाले इस अभियान के तहत मुस्लिम समाज के लोगों को जुटाकर इस बात का विश्वास दिलाया जा रहा है कि इस कानून से मुस्लिम समाज को किसी तरह की परेशानी नहीं आएगी। अभियान के अगुवा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक एसके मुद्दीन ने कहा कि देश के मुसलमानों को किसी तरह से घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जो कानून लाया जा रहा है, वह नागरिकता देने के लिए है, न कि किसी की नागरिकता छीनने के लिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस भ्रामक प्रचार कर देश को गुमराह कर रही है, जिससे एक और बंटवारे के हालात बन रहे हैं। मुद्दीन ने कहा कि इस तरह की सियासत कर यह हो सकता है कि भाजपा विरोधी सियासी पार्टियां जीत जाएं, लेकिन बड़ा नुकसान यह होगा कि इसमें देश हार जाएगा। उन्होंने बताया कि सीएए और एनआरसी को लेकर चलाए जा रहे अभियान के तहत अब तक जबलपुर, नीमच, इंदौर, उज्जैन आदि शहरों में कार्यक्रम किए जा चुके हैं। यह सिलसिला 23 जनवरी तक जारी रहेगा।

मोर्चा ने साधी चुप्पी

भाजपा की रीति-नीतियों से खफा होकर मुस्लिम भाजपाईयों द्वारा पार्टी से किनारा किए जाने का सिलसिला लगातार जारी है। जहां प्रदेश कार्यकारिणी के कुछ लोग अपने पदों से इस्तीफा दे चुके हैं, वहीं कई बड़े पदाधिकारियों ने इसके लिए मन बना लिया है। इसको लेकर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सनव्वर पटेल से बात करना चाही तो उन्होंने इस मामले में चुप्पी साध ली। कानून संशोधन को उचित ठहराते हुए वे पूरे मामले को सियासी बताते हुए कहते हैं कि कांग्रेस ने संविधान का मखौल बना दिया है और उसको सड़कों पर लाकर रख दिया है


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