भोपाल। प्रदेश कांग्रेस मीडिया उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने विधानसभा सचिवालय में हुई नियुक्तियों पर प्रति प्रश्न करते हुए मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव को पत्र लिखकर जानना चाहा है कि आचार संहिता के दौरान ये नियुक्तियां किस आधार पर की गईं। पत्र की प्रति भारत निर्वाचन आयोग को भी भेजी गई हैं। गुप्ता ने कहा कि प्रदेश के सभी समाचार पत्रों में यह खबर प्रमुखता से प्रकाशित हुई है कि मध्यप्रदेश विधानसभा के सचिवालय के लिए कई नियुक्तियां आचार संहिता के प्रचलन के दौरान की गई हैं। इन नियुक्तियों के संबंध में विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीताशरन शर्मा ने यह कहते हुए कि विधानसभा पर चुनाव आयोग के नियम लागू नहीं होते हैं, आचार संहिता के उल्लंघन के आक्षेप को खारिज भी किया है।
भूपेन्द्र गुप्ता ने उक्त समाचार के संदर्भ में वस्तुस्थिति से प्रदेश की जनता अवगत हो सके, इस लिए आयोग से कुछ प्रश्नों पर कानूनी स्थिति सार्वजनिक करने का भी आग्रह किया है। उन्होंने आयोग से पूछा है कि आचार संहिता के प्रभावशील रहते विधानसभा सचिवालय द्वारा क्या नई नियुक्तियां की जा सकती हैं। यदि विधानसभा सचिवालय के अधिकारियो, कर्मचारियों का वेतन राज्य कोष से निकलता है तो आचार संहिता के पालन में किन नियमों के आधार पर नियुक्तियां करने में छूट ली गई ह। जब विधानसभा अध्यक्ष स्वयं चुनाव में भाग ले रहे हैं तो उन्हें किस नैतिक आधार पर ऐसी नियुक्तियां करना चाहिए। जब इन नियुक्तियों को न ही विज्ञापित किया गया और न ही आयोग को भी पूर्व सूचित किया गया तो क्या चुनाव आयोग स्वयं संज्ञान लेकर कोई कार्रवाई कर सकता है अथवा नही। जब कोई संवैधानिक संस्था ही आचार संहिता की अनदेखी करेगी तो आयोग की क्या भूमिका होगी। गुप्ता ने आयोग से यह भी आग्रह किया है कि प्रदेश में कानून के राज के स्थान पर स्वेच्छाचारिता को हताश करने के लिए उक्त प्रकरण पर संज्ञान लेकर यथोचित कार्रवाई करते हुए वैधानिक स्थिति से प्रदेश की जनता को जागरूक करने की कृपा करें।