‘बुलडोज़र एक्शन’ पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का कांग्रेस ने किया स्वागत, कहा ‘सर्वोच्च न्यायालय का अभिमत इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा’

बता दें कि एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोज़र संस्कृति को लेकर कहा था कि ऐसी विध्वंस की कार्रवाइयाँ केवल तभी की जा सकती हैं जब संपत्ति अवैध हो। इस संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी करने की योजना बनाई है ताकि इस प्रकार की मनमानी कार्रवाइयों को रोका जा सके।

KK Mishra

Supreme Court Slams Bulldozer Action : एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने “बुलडोज़र एक्शन” के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति पर सिर्फ अपराध का आरोप होने के आधार पर उसकी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जा सकता। इसके बाद अब कांग्रेस ने इस मुद्दे पर बीजेपी को घेरा है। मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के मीडिया सलाहकार केके मिश्रा ने कहा है कि ‘आतंकी बुलडोज़र संस्कृति को लेकर सोमवार को मान. सर्वोच्च न्यायालय का अभिमत इस दिशा में मील का पत्थर”साबित होगा।’

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोज़र एक्शन को लेकर कहा कि ऐसी विध्वंस की कार्रवाइयाँ केवल तभी की जा सकती हैं जब संपत्ति अवैध हो। इस संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी करने की योजना बनाई है ताकि इस प्रकार की मनमानी कार्रवाइयों को रोका जा सके। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसी किसी भी विध्वंस प्रक्रिया से पहले नोटिस जारी करना, जवाब के लिए समय देना और कानूनी उपाय के अवसर प्रदान करना अनिवार्य होगा।

कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद बीजेपी को घेरा

अब अदालत की इस टिप्पणी के बाद केके मिश्रा ने एक्स पर लिखा है कि ‘पिछले 10 वर्षों से एक विचारधारा विशेष सत्ता के दंभ में  प्राप्त शक्तियों का दुरुपयोग “राजनीतिक आतंकवाद” के रूप में कर नफ़रत की सीढ़ियों से  अपना मुक़ाम निश्चित कर रही है, जो देश के संविधान-न्याय पालिका को एक समानांतर व्यवस्था के रूप में खुली चुनौती है ! आतंकी बुलडोज़र” संस्कृति को लेकर सोमवार को मान. सर्वोच्च न्यायालय का अभिमत इस दिशा में “मील का पत्थर”साबित होगा।’

उन्होंने कहा ‘SC ने इस “वेदना विशेष” को लेकर दिशा-निर्देश तय करने के लिए सभी पक्षों से सुझाव भी मांगे हैं। लिहाज़ा,देश के नागरिक के रूप में मेरा भी एक विनम्र आग्रह है कि “इस नफ़रती प्रवृति को जहां पूरी तरह रोका जाये, वहीं संविधान और न्यायपालिका को, संविधान की रक्षा करने की शपथ लेने वाले जिन-जिन प्रभावी कहे जाने वाले ज़िम्मेदारों ने इसे समानांतर व्यवस्था के रूप में चुनौती दी है,अधिकारों का उल्लंघन किया है, के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाये”…..ताकि सत्ता में क़ाबिज़ “कोई भी ताक़त” उसे प्राप्त संख्या बल का दुरुपयोग कर अपनी राजनीतिक शक्तियों का बेजा इस्तेमाल न कर सके। कुछेक कलेक्टरों (मौजूदा कलेक्टर भिण्ड,मप्र) ने तो बुलडोज़र के दुरुपयोग का अतिरेक करते हुए अपनी इस संविधान विरोधी कार्यवाही को हिंदू-मुस्लिम एंगल से भी जोड़कर संवैधानिक प्रतिबद्धता को अपनी नफ़रती-ग़ुलामी मानसिकता में प्रामाणिक तौर से तब्दील/ सार्वजनिक कर डाला हैं, जो चिंता का विषय होकर संविधान और न्याय पालिका को प्रत्यक्ष चुनौती और स्वतः संज्ञान के रूप में लिये जाने योग्य है।’


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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