भोपाल।
उपभोक्ता ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक शाखा बैरसिया का एक लाख रुपए का चेक केनरा बैंक में क्लीयर होने के लिए जून में लगाया था। चेक की राशि एक सप्ताह बाद भी खाते में जमा नहीं हुई। तो उपभोक्ता ने बैंक में जाकर पता किया तो कर्मचारियों ने तकनीकी कारणों से हो रही देरी का बहाना बताकर चेक क्लियर नहीं किया। उपभोक्ता ने बैंक में शिकायत भी दर्ज कराई तब भी चेक क्लीयर न होनेके संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई और न ही चेक वापस किया गया। इसी बीच सितंबर में 2016 में चेक का समय भी खत्म हो गया। चार माह बाद भी उपभोक्ता को चेक क्लीयर न होने का कोई कारण नहीं बताया गया। जब उपभोक्ता ने मुख्य ब्रांच में शिकायत की तो बैंक का कहना था कि चेक को डाकघर से पोस्ट द्वारा भेजा गया है जो खो गया।
मामला जिला उपभोक्ता फोरम बेंच-1 में पहुंचा। फोरम अध्यक्ष आरके भावे व सदस्य सुनील श्रीवास्तव ने बैंक की लापरवाही मानते हुए 33 हजार रुपए हर्जाना लगाया। उपभोक्ता संदीप मीणा ने केनरा बैंक सर्कल कार्यालय के क्षेत्रीय प्रबंधक, शाखा प्रबंधक और प्रधान डाकघर के पोस्ट मास्टर जनरल के खिलाफ 7 फरवरी 2017 को याचिका लगाई थी। फोरम ने इस मामले में बैंक की लापरवाही मानते हुए बैंक को 25 हजार, मानसिक क्षतिपूर्ति 5 हजार व वाद व्यय 3 हजार देने का आदेश दिया।