भोपाल। ग्रामीण क्षेत्र में पेजयल की आपूर्ति सुचारू करने के लिए सरकार नल जल योजनाओं पर जोर दे रही है। अभी तक योजनाओं का संचालक ग्राम पंचायत को ही करना होता है, लेकिन लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग ने यह जिम्मेदारी ठेकेदार को सौंप दी है। योजना पूरी होने के बाद पहले दो साल तक योजना का संचालन ठेकेदार द्वारा ही किया जाएगा। इसके बाद योजना पंचायत या फिर ग्रामीण विकास विभाग के सुपुर्द की जाएगी।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे ने बताया है कि नल-जल योजना के क्रियान्वयन के साथ ही योजना पूर्ण होने के बाद 2 वर्ष तक संधारण का दायित्व ठेकेदार को दिया जा रहा है। इन योजनाओं के क्रियान्वयन के दौरान ही संबंधित ग्रामों और बसाहटों में घरेलू नल कनेक्शन भी दिये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019-20 में प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में पेयजल प्रदाय के लिये 1035 करोड़ लागत की 1150 नल-जल योजनाएँ स्वीकृत की गई हैं। इनमें से 350 योजनाओं की प्रशासकीय स्वीकृति जारी कर दी गई है, 210 योजनाओं की डीपीआर तैयार कर ली गई है और 635 योजनाओं की डीपीआर प्रक्रियाधीन है। उन्होंने कहा कि इसी के साथ पूर्व से प्रगतिरत 674 नल-जल योजनाओं को अक्टूबर माह तक पूर्ण करने का प्रयास किया जा रहा है।
भाड़े के लोग सुधारेंगे हैंडपंप
राज्य शासन ने ग्रामीण अंचलों में पर्याप्त पेयजल प्रबंधन सुनिश्���ित करने के लिये आउटसोर्सिंग कर निजी संस्थाओं का सहयोग प्राप्त करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण अंचलों में लगभग 5 लाख 28 हजार हैण्ड-पम्प स्थापित हैं, जिन्हें निरंतर सुचारु रूप से चालू रखने में विभागीय तकनीशियन की कमी बाधा बन गई थी। इस कारण आउटसोर्सिंग की व्यवस्था की गई है।