भोपाल। सीएए-एनआरसी का विरोध अब धरना, प्रदर्शन, रैलियों, सभाओं से बाहर निकलकर सामाजिक कार्यक्रमों और घरेलू कामकाज में भी पहुंच चुका है। जहां लोग शादी-ब्याह के आमंत्रण-पत्र में नो सीएए, नो एनआरसी, नो एनपीआर के स्लोगन प्रकाशित कर इस काले कानून के खिलाफ अपना विरोध जता रहे हैं, वहीं घर की जरूरतों की वस्तुएं खरीदने जाने के लिए साथ लेकर जाने वाले झोलों पर भी इस तरह के नारे लिखे दिखाई देने लगे हैं।
राजधानी में होने वाली एक शादी के कार्ड पर यह नारा लिखा दिखाई दे रहा है। 21 मार्च को शादी के पवित्र बंधन में बंधने वाले तबरेज और शाहीन का दावतनामा उन मेहमानों के लिए ताज्जुब का विषय बना हुआ है, जिनके हाथों यह कार्ड पहुंंचा है। दावतनामा में निकाह, वलीमा और शादी की अन्य रस्मों की जानकारी से पहले पहले ही पृष्ठ पर सीएए-एनआरसी का विरोध दर्ज किया गया है। दावतनामा देखकर लोगों को कुछ समय पहले उस कार्ड की याद भी ताजा हो गई है, जिसपर अंकित था, मोदी हमारी भूल….!
इधर जमीयत उलमा हिंद के प्रदेश सचिव हाजी इमरान हारून ने अपनी मुहिम में सीएए-एनआरसी विरोध का नया तरीका जोड़ा है। उन्होंने लोगों को जूट से बने कैरी बेग वितरित करने की शुरूआत की है। इन बैग पर सीएए, एनआरसी, एनपीआर वापस लो का नारा बुलंद किया गया है। हाथों में इन बैग के साथ घूमने वाले इस विरोध अभियान का हिस्सा माना जाएंगे। इसी नजरिए से इन बैगों का वितरण किया गया है। भारत की एकता टूटने नहीं देंगे, हिन्दुस्तान जिंदाबाद जैसे नारों से सजे इन बैगों पर अपीलकर्ता के रूप में भोपाल के खिदमतगारों का नाम शामिल किया गया है। हाजी इमरान का कहना है कि इस तरह से वे जहां काले कानून का विरोध दर्ज करा रहे हैं, साथ ही पॉलिथिन मुक्त भारत की कल्पना को भी आगे बढ़ा रहे हैं। उनका कहना है कि लोगों को यह बैग इस ताकीद के साथ सौंपे जा रहे हैं कि वे बाजारों में जब भी कोई सौदा लेने जाएंगे तो अपने साथ इस बैग को जरूर लेकर जाएंगे।