बागेश्वर धाम से 160 किलोमीटर की पदयात्रा पर निकले धीरेंद्र शास्त्री, सीएम डॉ मोहन यादव ने दी बधाई, शिक्षा मंत्री ने कहा अनुकरणीय

मंत्री उदय प्रताप ने कहा धीरेंद्र शास्त्री चाहें तो ऐश्वर्य का जीवन जी सकते हैं लेकिन वे उसके बावजूद सड़क पर उतरकर अपनी संस्कृति, अपने धर्म, अपने देश के लिए एक सन्देश देने का काम कर रहे हैं मुझे लगता है ये बहुत ही अनुकरणीय काम है।

Atul Saxena
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Bageshwar Dham, Dhirendra Shastri

Dhirendra Shastri Padayatra: जातियों में बंटे हिंदुओं को एकजुट करने, पिछड़े और बिछड़ों को गले लगाने के लिए बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री की 160 किलोमीटर की पदयात्रा आज 21 नवंबर से शुरू हुई, पदयात्रा में अपार जनसमूह जुट रहा है, लोग हिंदू राष्ट्र के नाम के जयकारे लगा रहे हैं।

जात पात की करो विदाई हम सब हिंदू भाई भाई नारे के साथ बाबा बागेश्वर 21 से 29 नवंबर तक बागेश्वर धाम से ओरछा राम राजा सरकार मंदिर तक 160 किलोमीटर की यात्रा निकाल रहे हैं, यात्रा को देखते हुए भारी भीड़ बागेश्वर धाम पहुंची जिसे नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा के विशेष इंतजाम करना पड़ा।

सीएम डॉ मोहन यादव ने दी धीरेंद्र शास्त्री को बधाई 

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने बधाई देते हुए कहा धीरेंद्र शास्त्री अध्यात्मिक संत है उनका अपना एक अलग अंदाज है उनका मार्गदर्शन हमें मिलता है , वे सनातन से जुड़े लोगों को एकजुट करने निकले हैं, मैं सरकार के मुख्या होने के नाते मैं उनका अभिनन्दन करता हूँ।

सबको जोड़ने का बाबा बागेश्वर का ये अभिनव प्रयास 

मप्र के शिक्षा मंत्री उदय प्रताप ने कहा कि बागेश्वर बाबा धीरेंद्र शास्त्री की सनातन यात्रा आज की युवा पीढ़ी को सनातन से जोड़ने का, संस्कृति के जोड़ने का, धर्म के प्रति जोड़ने का एक अभिनव प्रयास हैं मैं इसके लिए कृतज्ञता ज्ञापित करता हैं।

वे ऐश्वर्य से रह सकते हैं, उनका पदयात्रा निकालना अनुकरणीय 

मंत्री ने कहा धीरेंद्र शास्त्री की जो प्रसिद्धि है उनके लाखों सेवक है वे चाहें तो ऐश्वर्य का जीवन जी सकते हैं लेकिन वे उसके बावजूद सड़क पर उतरकर अपनी संस्कृति, अपने धर्म, अपने देश के लिए एक सन्देश देने का काम कर रहे हैं मुझे लगता है ये बहुत ही अनुकरणीय काम है।

 

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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