भोपाल| देश के सबसे बड़े आर्थिक घोटाले ई टेंडर घोटाले में रोज नई-नई बातें सामने आ रही है। एक लाख करोड़ के करीब पहुंच चुके इस घोटाले में अब खुलासा हुआ है कि घोटाले में आरोपी एंट्रस सिस्टम्स लिमिटेड कंपनी शुरआत से ही लापरवाह रही| कंपनी ने गोपनीयता पर बिलकुल ध्यान नहीं दिया, सर्वर और डाटा की सुरक्षा बेहद कमजोर रही|
ई-टेंडर घोटाले में आरोपी एंट्रस सिस्टम्स लिमिटेड कंपनी के कर्मचारियों से लगातार पांचवे दिन पूछताछ में कंपनी की लचर व्यवस्था का खुलासा हुआ है| जिस अवधी में टेंडर घोटाला हुआ, इस अवधी में कंपनी में पचास से ज्यादा मुख्य कर्मचारियों ने नौकरियां छोड़ी और नए एम्प्लाइज भर्ती हुए जिन्हे मप्र ई-टेंडर देखने का जिम्मा सौंपा गया, इसके चलते जांच में किसी भी कर्मचारी-अधिकारी को सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं पाया गया है, लेकिन कंपनी के मुखियाओं ने काम को गोपनीय नहीं समझा| जबकि टेंडर का मामला बेहद गोपनीय होना चाहिए और सुरक्षा की खामियों को नजरअंदाज करना भी शक के दायरे में लाता है|
अलग अलग कमर्चारियों अधिकारियों के ई टेंडर का काम देखने के चलते ईओडब्ल्यू को अब तक सुराग भी नहीं मिला है कि कंपनी के किस अधिकारी कर्मचारी ने किस टेंडर में छेड़छाड़ को नजर अंदाज किया| अब ईओडब्ल्यू के अधिकारी कंपनी के वाइस प्रेजिडेंट मनोहर एमएन से ऐसे सभी कर्मचारियों कि सूची तैयार करवा रहे हैं, जो यह काम का जिम्मा संभाल रहे थे| वहीं कंपनी के पदाधिकारियों से पूछताछ और डाटा के आधार पर पाया गया कि कंपनी का सिस्टम भी फुलप्रूफ नहीं था और न ही इतना अहम् गोपनीय काम करने के लिए योग्यता रखती थी| लेकिन टीसीएस के जॉइंट वेंचर में एंट्रस सिस्टम्स को जिन अधिकारियों ने काम दिया, उनकी मंशा और काम देने के बदले में कोई लेनदेन हुआ इसकी जानकारी भी जुटाई जा रही है|