MP News : कोरोना पर असरदार है यह दवा, 93.3% लोग हो रहे हैं ठीक

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कोरोना (Corona) संक्रमण के लिए अभी तक भी पूरे विश्व (World) में कोई वैक्सीन (Vaccine) नहीं बन पाई है। डॉक्टर (Doctor) कोरोना मरीजों (Patients) को बुखार, खांसी और जुखाम की दवाईयां देकर ही ठीक करने की कोशिश में लगे हैं, लेकिन यह देखा गया है कि अंग्रेजी दवाइयों (English Medicines) से ज्यादा इस वायरस (Virus) को खत्म करने में देसी इलाज असरदार है।

दरअसल, भोपाल के पं. खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद अस्पताल (Pt. Khushi Lal Sharma Ayurveda Hospital) और मेडिकल कॉलेज (Medical College) में काफी समय से गिलोय घनवटी के कोरोना पर असर को लेकर रिसर्च (Research) चल रही थी, इस रिसर्च में बहुत पॉजिटिव (Positive) रिस्पॉन्स मिला है, रिसर्च के मुताबिक गिलोय घनवटी के सेवन से कोरोना को खत्म किया जा सकता है।

30 लोगों पर हुआ गिलोय घनवटी का ट्रायल
जुलाई से सितंबर (July to September) के बीच प.खुशीलाल अस्पताल में एडमिट कोरोना के 30 मरीजों पर पहला ट्रायल किया गया था, इस ट्रायल के दौरान मरीजों को 2 ग्रुप में बांट दिया गया था। पहले ग्रुप में 15 लोग थे जिन्हे दिन में 2 बार 500-500 एमजी गिलोय घनवटी (Giloy Ghanvati) दी गई और दूसरे ग्रुप के 15 लोगों को पहले दिन 800 एमजी और बाद में रोज 400 एमजी हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट दी गई। इसके अलावा कोई अन्य दवा इन्हे नही दी गई।

दवा देने से पहले सभी की ऑक्सीजन (Oxygen) सेचुरेशन लेवल लगभग 95 था। दवा देने के पांचवे दिन बाद सभी 30 लोगों की आरटीपीसीआर (RTPCR Test) टेस्ट कराया गया, जिसमें गिलोय घनवटी खा रहे 66 प्रतिशत लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव (Report Negative) आई और हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) खा रहे लोगों 53 प्रतिशत लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई। 10वे दिन फिर टेस्ट हुआ जिसमें गिलोय घनवटी खा रहे 93 प्रतिशत लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव आई और हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन खा रहे लोगों 66 प्रतिशत लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई।

बता दें कि इस रिसर्च रिपोर्ट को कॉलेज प्राचार्य़ और क्लीनिकल ट्रायल प्रोजेक्ट (Clinical Trial Project) के प्रिसिंपल इनवेस्टीगेटर डॉ उमेश शुक्ला ने सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेद साइंस (Central Council for Research in Ayurveda Science) को भेजा है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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